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उंगलियों में दर्द और सूजन को न करें नजरअंदाज, ट्रिगर फिंगर की हो सकती है शुरुआत

उंगलियों को मूव करने के लिए टेंडन (यह हड्डियों को मसल्स से जोड़ता है) एक बेहद ही अहम स्ट्रक्चर माना जाता है। अगर टेंडन के किनारें में सूजन आ जाए और वह अच्छी तरह ग्लाइड न कर पाए, तो उंगलियों को मोड़ने या घुमाने पर दर्द या अकड़न महसूस होती है और यह ट्रिगर फिंगर की समस्या कहलाती है। बार-बार ग्रिपिंग या हाथों के इस्तेमाल से यह समस्या हो सकती है। आइए जानते हैं यह क्या है और इससे कैसे बचा जा सकता है।

ट्रिगर फिंगर होने का यह है कारण
उंगलियों या अंगूठे के टेंडन में सूजन हो जाने पर उसकी मोटाई बढ़ जाती है और वह अच्छी तरह मूव नहीं कर पाता है। ऐसा होने से उंगलियों या अंगूठे में दर्द होता है।

किन लोगों को रहता है खतरा
    40 या इससे अधिक उम्र के लोग: टेंडन के घिसने की वजह से 40 साल या उससे अधिक उम्र के लोगों को ट्रिगर फिंगर होने का खतरा ज्यादा रहता है।
    महिलाएं: हॉर्मोनल कारणों से महिलाओं के टेंडन का लचीलापन कम हो जाता है और ट्रिगर फिंगर होने का जोखिम बढ़ जाता है।
    हाथों का ज्यादा इस्तेमाल: ग्रिपिंग टूल या वाद्ययंत्र बजाने का काम ज्यादा करने पर टेंडन पर ज्यादा जोर पड़ता है।
    बीमारियां: डायबिटीज और रूमेटॉयड आर्थराइटिस से टेंडन में सूजन का खतरा बढ़ जाता है।
    हाथ का पुराना चोट: जिन लोगों को पहले कभी हाथ में इंजुरी हुई हो, वे ट्रिगर फिंगर के शिकार हो सकते हैं।

ये होते हैं लक्षण
    उंगली का सख्त होना: इसके सबसे शुरूआती लक्षणों में है उंगली में अकड़न होना, खासकर सुबह के समय। ट्रिगर फिंगर से प्रभावित उंगली टाइट महसूस हो सकती है या उसे मूव करने मे परेशानी हो सकती है।
    कट-कट की आवाज आना: ट्रिगर फिंगर की समस्या बढ़ जाने की स्थिति में उंगली को मूव करने पर कट-कट की आवाज आ सकती है। कई बार ऐसा महसूस होता है कि उंगली अच्छी तरह मुड़ नहीं पा रही है।
    दर्द या सूजन: उंगली या अंगूठे के जड़ों में दर्द महसूस होना। ऐसे में चीजों को उठाना या हाथ का इस्तेमाल करना तकलीफदेह हो सकता है।
    एक तय दूरी तक ही उंगली मूव करे: ट्रिगर फिंगर से प्रभावित उंगली एक सीमित दूरी तक ही आगे–पीछे जा पाती है। लिखने, टाइप करने जैसे काम बेहद मुश्किल और पीड़ादायक हो जाते हैं।
    उंगली मुड़ी हुई रहती है: समस्या ज्यादा बढ़ जाने पर उंगली मुड़ी हुई पॉजिशन में ही लॉक हो जाती है, जिसे सीधा कर पाना मुश्किल हो जाता है।

इस तरह ट्रिगर फिंगर से करें बचाव
वैसे हर बार ही ट्रिगर फिंगर होने के खतरे से बच पाना मुश्किल होता है, लेकिन इन तरीकों से आप इसे कम कर सकते हैं:

    बार-बार हाथ पर दबाव देने से बचें- ऐसी एक्टिविटी करने से बचें जिसमें बार-बार कोई चीज पकड़नी हो। हाथों को जबर्दस्ती मूव करने की कोशिश ना करें।
    हाथों को दें ब्रेक- अगर आपकी जॉब या आपकी हॉबी में हाथों का काम ज्यादा है तो बीच-बीच में ब्रेक लेना ना भूलें।
    एर्गोनॉमिक टूल्स का इस्तेमाल- हाथों पर दबाव को कम करने वाले टूल्स का इस्तेमाल करें, इससे ट्रिगर फिंगर के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
    स्ट्रेच करें और हाथों के स्ट्रेंथ को बढ़ाएं- नियमित रूप से हाथों की एक्सरसाइज करने से टेंडन लचीले होते हैं और हाथों की मजबूती बढ़ती है।
    बीमारियों को करें मैनेज- डायबिटीज या आर्थराइटिस से पीड़ित मरीज अपनी समस्याओं को सही तरीके से मैनेज करते हैं तो ट्रिगर फिंगर का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है।

 

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