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वकालत और गणवेश के अपमान के आरोप में हाईकोर्ट ने जॉली LLB-3 के डायरेक्टर्स को जोड़ा केस में

जबलपुर 
 अक्षय कुमार व अरशद वारसी अभिनीत फिल्म जॉली एलएलबी-थ्री के गाने के मामले में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. फिल्म के गाने 'भाई वकील है' को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा व जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुए फिल्म के निर्माता व निर्देशक को मामले में पार्टी बनाए जाने के आदेश जारी किए हैं.

क्या है फिल्म जॉली LLB-3 का मामला?

दरअसल, जबलपुर के अधिवक्ता प्रांजल तिवारी की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि फिल्म के ट्रेलर और गाने 'मेरा भाई वकील' में न्यायपालिका व वकालत के पेशे को अपमानजनक तरीके से चित्रित किया गया है. इससे समूचे विधि जगत व न्याय तंत्र की गरिमा को ठेस पहुंची है. गाने के बोल के माध्यम से वकालत जैसे नोबल प्रोफेशन को बदनाम करने का कुत्सित प्रयास किया गया है. गाने के बोल '' रगो में तिगड़मबाजी है, हर ताले की चाबी है, हर केस की पैकेज डील है, फिक्र ना कर तेरा भाई वकील है और इसके आगे को बोलों को अनुचित और अपमानजनक बताया गया है.

'वकालत के पेशे और गणवेश का अपमान'

याचिका में कहा गया है कि 'भाई वकील है' गाने में अभिनेता अक्षय कुमार व अरशद वारसी द्वारा वकालत का बैंड पहनकर नाचना भी मानहानिकारक है. याचिका में इसे लेकर तर्क दिया गया है कि हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में प्रकरण की पैरवी के दौरान वकील बैंड लगाते हैं और गाउन पहनते हैं. इससे साफ है कि वकालत के गणवेश की अपनी महत्ता है, जिसे इस तरह मनोरंजन के नाम पर अपमानित नहीं किया जाना चाहिए.

फिल्म के डायरेक्टर्स के साथ सरकार को भी बनाया पार्टी

याचिका में राज्य शासन, प्रमुख सचिव गृह विभाग, सचिव सूचना व प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार नई दिल्ली और चेयरमैन सेंट्रल बोर्ड आफ फिल्म सर्टिफिकेशन को पक्षकार बनाया गया है. युगलपीठ ने प्रारंभिक सुनवाई के बाद ये आदेश जारी किए हैं. युगलपीठ ने कहा है कि फिल्म के निर्माता व निर्देशक को भी आवश्यक पक्षकार बनाए बिना मामले का निपटारा नहीं हो सकता है. याचिकाकर्ता की तरफ अधिवक्ता प्रमोद ठाकरे ने पैरवी की. युगलपीठ ने याचिका पर अगली सुनवाई 12 सितम्बर को निर्धारित की है.

 

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