एड इंडस्ट्री को बड़ा नुकसान: पीयूष पांडेय का निधन, उनके क्रिएटिव कैंपेन ने दिया कई यादगार विज्ञापन

नई दिल्ली
इंडियन एडवरटाइजिंग इंडस्ट्री के मशहूर नाम पीयूष पांडे का गुरुवार को निधन हो गया. उन्होंने चार दशकों से ज्यादा वक्त तक ओगिल्वी इंडिया के साथ काम किया. पीयूष पांडे 1982 में ओगिल्वी से जुड़े थे. उन्होंने 27 साल की उम्र में अंग्रेजी-प्रभुत्व वाले विज्ञापन उद्योग में प्रवेश किया और इसे हमेशा के लिए बदल दिया.
बिजनेसमेन सोहेल सेठ ने पीयूष पांडे के निधन पर सोशल मीडिया अकाउंट पर शोक जताया. उन्होंने लिखा, "मेरे सबसे प्यारे दोस्त पीयूष पांडे जैसे जीनियस के खोने से मैं बहुत ज़्यादा दुखी और टूट गया हूं. भारत ने सिर्फ़ एक महान एडवरटाइजिंग माइंड ही नहीं, बल्कि एक सच्चे देशभक्त और एक बहुत अच्छे इंसान को खो दिया है."
विज्ञापन की दुनिया में नए रंग भरे थे और उनके कई कैंपेन तो बेहद चर्चित रहे और घर-घर में ब्रांड्स की पहचान बनी। जैसे उन्होंने एशियन पेंट्स का कैंपेन स्लोगन लिखा था- हर खुशी में रंग लाए। इसके अलावा कैडबरी का ऐड 'कुछ खास है' भी उनकी कलम से निकला था। लंबे समय तक भारत की विविधता में एकता को दिखाने वाले गीत 'मिले सुर मेरा तुम्हारा' के लेखक भी वही थे। यह गाना तो दूरदर्शन का थीम सॉन्ग बन गया था। फिर इंटरनेट के प्रसार होने पर लोग यूट्यूब आदि पर जाकर भी इस गीत को सुनते रहे। उन्होंने फेविकोल, हच जैसी कंपनियों के लिए भी कई सफल ऐड कैंपेन को लीड किया था। वह 70 साल के थे।
पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के प्रचार का नारा भी उन्होंने दिया था, जो काफी चर्चित रहा। यह नारा था- अबकी बार, मोदी सरकार। पीयूष पांडेय को भारत की विज्ञापन इंडस्ट्री में बड़े बदलाव लाने के लिए जाना जाता है। उन्होंने नामी ऐड कंपनी ओगिल्वी इंडिया के साथ करीब 4 दशकों तक काम किया था। यह कंपनी देश में ऐडवर्टाइजमेंट की दुनिया का पर्याय बनी रही और इसमें अहम भूमिका पीयूष पांडेय की भी मानी जाती है। उनकी निधन के साथ ही विज्ञापन की दुनिया का एक युग समाप्त हो गया है। उनकी शानदार मूंछें और हंसमुख चेहरा हमेशा याद किया जाएगा।
उन्हें भारतीय समाज की भाषा, परंपरा की गहरी समझ थी। यही कारण था कि उनके कई कैंपेन तो ऐसे थे, जो लोगों के दिलों को छू गए। प्रोडक्ट लोकप्रिय हुए तो उनके बनाए विज्ञापनों ने भी खूब चर्चा बटोरी और लोग पूरी दिलचस्पी से विज्ञापन देखते रहे। पीयूष पांडेय ने 1982 में ओगिल्वी इंडिया को जॉइन किया था। इससे पहले वह एक क्रिकेटर रहे थे। इसके अलावा चाय बागान में उन्होंने काम किया था और निर्माण क्षेत्र में भी काम कर चुके थे। उन्होंने 27 साल की उम्र में इस इंडस्ट्री में एंट्री ली और अंग्रेजी भाषा के प्रभुत्व वाली विज्ञापन की दुनिया का कलेवर ही बदल डाला। एशियन पेंट्स, कैडबरी समेत कई कंपनियों के कैंपेन्स को उन्होंने नई ऊंचाइयां दी थीं।
सोहेल सेठ ने आगे कहा कि अब स्वर्ग में 'मिले सुर मेरा तुम्हारा' पर डांस होगा."
फिल्ममेकर हंसल मेहता ने लिखा, "फेविकोल का जोड़ टूट गया. आज एड वर्ल्ड ने अपना ग्लू खो दिया. पियूष पांडे, आप अच्छे से जाएं."
'हमेशा याद रहने वाली कहानियां…'
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, "पद्म श्री पीयूष पांडे के निधन पर अपनी उदासी ज़ाहिर करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं. एडवरटाइजिंग की दुनिया में एक महान हस्ती, उनकी क्रिएटिव जीनियस ने कहानी कहने के तरीके को फिर से परिभाषित किया और हमें यादगार और हमेशा याद रहने वाली कहानियां दीं."
उन्होंने आगे कहा कि मेरे लिए, वह एक ऐसे दोस्त थे, जिनकी चमक उनकी सच्चाई, गर्मजोशी और हाज़िरजवाबी में दिखती थी. मैं हमेशा उनके साथ हुई अपनी दिलचस्प बातचीत को याद रखूंगा. वह अपने पीछे एक गहरा खालीपन छोड़ गए हैं, जिसे भरना मुश्किल होगा. उनके परिवार, दोस्तों और चाहने वालों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं.
विज्ञापन जगत की दिग्गज शख्सियत
पीयूष पांडे का जन्म 1955 में जयपुर के एक परिवार में हुआ था. उनके नौ भाई-बहन थे, जिनमें सात बहनें और दो भाई शामिल थे. पीयूष पांडे के पिता एक बैंक में काम करते थे. पांडे ने कई सालों तक क्रिकेट भी खेला था. उन्होंने एशियन पेंट्स के लिए 'हर खुशी में रंग लाए', कैडबरी के लिए 'कुछ खास है' और फेविकोल और हच जैसे ब्रांडों के लिए विज्ञापन बनाए.




