छत्तीसगढ़

सौतेली बेटी से रेप के आरोपी पिता को 20 साल की कैद की सजा DNA टेस्ट बना आधार

कोर्ट ने कहा कि यह बेहद दुखद है कि एक सौतेले पिता द्वारा अपनी सौतेली बेटी का जो 18 वर्ष से भी कम उम्र की है, के साथ बेहद गंभीर और जघन्य अपराध किया गया.मुंबई की एक स्पेशल कोर्ट ने डीएनए टेस्ट (DNA Test) पर भरोसा करते हुए एक 41 वर्षीय शख्स को अपनी 16 वर्षीय सौतेली बेटी (step daughter) के साथ बार-बार रेप (Rape) करने और उसे गर्भवती करने के लिए 20 साल की कैद की सजा सुनाई है. शख्स 2019 से लगातार अपनी बेटी का रेप कर रहा था. यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम से संबंधित मामलों की सुनवाई के लिए नामित विशेष न्यायाधीश अनीस खान ने मंगलवार को पारित आदेश में कहा कि ऐसी अजीबोगरीब परिस्थितियों में, डीएनए परीक्षण जांच के साथ-साथ अभियुक्तों के अपराध का सबूत स्थापित करने के लिए एक प्रभावी उपकरण है.डीएनए रिपोर्ट के आधार पर आरोपी ही बच्ची के भ्रूण का जैविक पिताअदालत ने अपने आदेश में कहा कि बुधवार को डीएनए रिपोर्ट की जो कॉपी अदालत को उपलब्ध कराई गई वह साफ-साफ बताती है कि आरोपी पीड़ित लड़की के भ्रूण का जैविक पिता था. कोर्ट ने कहा कि यह बेहद दुखद है कि एक सौतेले पिता द्वारा अपनी सौतेली बेटी का जो 18 वर्ष से भी कम उम्र की है, के साथ बेहद गंभीर और जघन्य अपराध किया गया. कोर्ट ने कहा कि सिर्फ इसलिए कि लड़की और उसकी मां मुकर गई है, इसका मतलब ये नहीं कि इससे अभियोजन का मामला विफल हो जाएगा. अभियोजन पक्ष के अनुसार आरोपी अक्टूबर 2019 से बच्ची के साथ दुष्कर्म कर रहा था.अपने बयान से मुकर गई थी पीड़ित और उसकी मांजून 2020 में पीड़ित लड़की ने इसके बारे में अपनी मां को बताया जिसके बाद पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई. मेडिकल जांच के दौरान पता चला कि लड़की 16 सप्ताह की गर्भवती थी, हालांकि बाद में गर्भ को गिरा दिया गया. मुकदमे के दौरान लड़की और उसकी मां मुकर गई थी. अदालत ने अपने फैसले में कहा कि लड़की और उसकी मां ने कोर्ट में दिए अपने बयान में दावा किया था कि आरोपी घर में कमाने वाला एकलौता सदस्य है इसलिए वे उसे माफ करना चाहते हैं और उसे जेल से बाहर लाना चाहते हैं. कोर्ट ने आए कहा कि पीड़ित का यह बयान साबित करता है कि उसके ऊपर उसकी मां द्वारा भावुक दबाव डाला गया और इसलिए उसने उसके साथ होने वाले इस अपराध से इंकार कर दिया.ऐसे मामलों में डीएनए टेस्ट आरोप साबित करने के लिए एक प्रभावी उपकरण है और इस मामले में डीएनए रिपोर्ट ने साबित किया है कि लड़की के भ्रूण का जैविक पिता आरोपी ही है. कोर्ट ने कहा कि डीएनए टेस्ट के दौरान ब्लड सैंपल एकत्र करने की प्रक्रिया, उसे लैब में जमा करने की प्रक्रिया और आगे का विश्लेषण सब ठीक था, इसलिए डीएनए रिपोर्ट को स्वीकार किया गया है.

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