राष्ट्रीय

राजेंद्र नाथ लाहिड़ी का बलिदान राष्ट्र की अमिट धरोहर: योगी आदित्यनाथ

लखनऊ
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को लखनऊ के 'काकोरी ट्रेन एक्शन' के नायक राजेंद्रनाथ लाहिड़ी की जयंती पर उनको नमन करते हुए कहा कि उनका बलिदान राष्ट्र की अमिट धरोहर है। योगी आदित्यनाथ ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर एक पोस्ट में कहा, '''काकोरी ट्रेन एक्शन' के वीर नायक, महान क्रांतिकारी राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी की जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन!'' इसी पोस्ट में मुख्यमंत्री ने कहा, ''आपका (लाहिड़ी) बलिदान राष्ट्र की अमिट धरोहर है, जो हमें सदैव देशभक्ति और कर्तव्यनिष्ठा का पथ दिखाता रहेगा।''

राजेन्द्र नाथ लाहिड़ी का जन्म 29 जून 1901 को बंगाल में वर्तमान पावना जिला के मोहनपुर गांव में हुआ था। परिस्थितियों के कारण मात्र नौ वर्ष की उम्र में ही वह बंगाल से अपने मामा के घर उत्तर प्रदेश के वाराणसी आ गए। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में उनकी शिक्षा-दीक्षा हुई। उन दिनों वाराणसी क्रांतिकारी गतिविधियों का प्रमुख केंद्र हुआ करता था।

अंग्रेजी हुकूमत से लड़ने के लिए ब्रिटिश माउजर (राइफल) खरीदने के वास्ते पैसे का प्रबंध करने के लिए पं. राम प्रसाद बिस्मिल, ठाकुर रोशन सिंह, अशफाक उल्ला खां के साथ मिलकर राजेन्द्र लाहिड़ी ने अपने आधा दर्जन अन्य सहयोगियों के साथ नौ अगस्त 1925 की शाम सहारनपुर से चलकर लखनऊ पहुंचने वाली आठ डाउन ट्रेन पर काकोरी रेलवे स्टेशन पर धावा बोल दिया और सरकारी खजाना लूट लिया।

इस घटना का मकसद था कि इस लूट से इकट्ठा होने वाले पैसों से हथियार खरीदे जाएं और भारत पर कब्जा करने वाले अंग्रेजों के खिलाफ उनका इस्तेमाल किया जाए। अंग्रेजों ने इसे डकैती का नाम दिया और इसमें शामिल राष्ट्रनायकों को अपराधी करार दिया। इतिहास में इस घटना को 'काकोरी कांड' के नाम से जाना गया, लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने इस घटना के नाम में बदलाव कर इसे 'काकोरी ट्रेन एक्शन' कहा।

इस मामले में चार क्रांतिकारियों राजेन्द्र नाथ लाहिड़ी, पंडित राम प्रसाद बिस्मिल, ठाकुर रोशन सिंह और अशफाक उल्ला खां को फांसी की सजा सुनाई गई। अंग्रेजी हुकूमत द्वारा सभी क्रांतिवीरों को प्रदेश की अलग-अलग जेलों में रखा गया। राजेन्द्र नाथ लाहिडी को गोंडा जेल भेजा गया, जहां उन्हें 17 दिसंबर 1927 को फांसी पर लटका दिया गया।

 

Related Articles

Leave a Reply

Back to top button