पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक कल्याण मंडला के प्रभारी सहायक संचालक द्वारा खरीदी में जमकर की कमीशन खोरी

मंडला
मंडला जिला आदिवासी बाहुल्य जिला है जिसका फायदा अधिकारी खूब उठाते हैं मनमाने तरीके से योजनाओं का संचालन कर भ्रष्टाचार मचाए हुए हैं , शासन द्वारा अनेक प्रकार की योजनाएं चलाई जाती है आदिवासी एवं पिछड़ा वर्ग के लिए शासन ने अनेक सुविधा प्रदान की है छात्रावास में पढ़ने वाले बच्चे बच्चियों के लिए छात्रवृत्ति के साथ-साथ और भी अनेक सुविधाएं प्रदान की जाती है ताकि वह अपना भविष्य अच्छे से सवार सके, किंतु जिले में बैठे भ्रष्ट अधिकारी इसमें भी अपना फायदा देखकर बच्चों के हक का पैसा खाने में परहेज नहीं करते है।
ऐसा ही एक मामला पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक कल्याण मंडला का है मेरे द्वारा सूचना के अधिकार के माध्यम से जानकारी निकाली गई इसमें स्पष्ट भ्रष्टाचार दिख रहा है , शासन द्वारा पढ़ने वाले बच्चों के लिए ठंड के दिनों में पिछड़ा वर्ग छात्रावास बालक एवं कन्या छात्रावास के लिए कंबल एवं चद्दर प्रदान करने के लिए राशि जारी की गई थी, पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक कल्याण के सहायक संचालक द्वारा बच्चों के लिए जो कंबल के क्रय किए गए वह घटिया क्वालिटी के है इनके द्वारा कंबल जबलपुर से किया गया है जबकि इन्हें मंडला से ही क्रय किया जाना था। जबलपुर से क्रय करने के बावजूद कम्बल चादर घटिया क्वालिटी की है
एक कंबल का मूल प्रति 775 रुपया है और चादर का मूल प्रति₹200 है उनके द्वारा प्रदान किए गए बिल के आधार पर मेरे द्वारा जब पिछड़ा वर्ग बालक छात्रावास में जाकर अधीक्षक से मिलकर कंबल व चादर का अवलोकन किया गया तो देखने में लगा कि प्रति कंबल 250 ₹300 एवं चंदर मुश्किल से 70,75 की प्रति चादर मूल्य होगा जबलपुर से क्रय किए जाने के बावजूद सहायक संचालक द्वारा घटिया सामग्री क्रय कर बच्चों को प्रदान की गई है इसमें भी उनके द्वारा जमकर भ्रष्टाचार किया गया है,
पिछड़ा वर्ग के छात्रावास अधीक्षक से चर्चा करने पर उनके द्वारा कहा गया कि ही राशि छात्रावास में दिए जाना चाहिए था ताकि हम अपने हिसाब से अच्छी क्वालिटी की सामग्री करें कर सके। दोनों छात्रावास में लगभग डेढ़ सौ कंबल चादर प्रदान किए गए हैं विभाग में पूर्व में भी इनके द्वारा अनेक प्रकार की अनिमितता की गई है चाहे पैरामेडिकल छात्रवृत्ति का मामला हो या पिछड़ा वर्ग अल्पसंख्यक लोन का मामला हो यहां पर मनमानी तरीके से कार्य किया जा रहा है ।
उच्च अधिकारियों को मामले की गंभीरता को देखते हुए सूक्ष्म जांच कर जिम्मेदार पर उचित कार्यवाही की जानी चाहिए।