छत्तीसगढ़

सुशासन का ढकोसला कर रही विष्णु सरकार की संवेदनहीनता ने ले ली गरीब नरोत्तम यादव की जान-ब्यास कश्यप

पेमेंट नही मिलने के टेंशन में नरोत्तम पड़ा बीमार, एम्स में भर्ती रहने के दौरान भी मुख्यमंत्री से लेकर जिले के प्रभारी मंत्री तक से लगायी फरियाद, नरोत्तम की मौत हो गई पर सरकार और अधिकारियों की संवेदना नहीं जागी

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सरकार परिजनों को मुआवजा और पत्नी को सरकारी नौकरी दे

जांजगीर-चांपा। एक तरफ प्रदेश की विष्णुदेव साय की सरकार सुशासन का ढकोसला करती रही और इसी दौरान सरकार की संवेदनहीनता का शिकार गरीब नरोत्तम यादव एम्स रायपुर में भर्ती होकर राहत का इंतजार करता रहा, सरकार की संवेदना तो नहीं जागी वहीं नरोत्तम यादव की एम्स रायपुर में मौत हो गई। नरोत्तम यादव के मौत के जवाबदार जिले के अधिकारी और सरकार है। सरकार नरोत्तम के परिजनों को पच्चीस लाख रूपए का मुआवजा दे तथा नरोत्तम की पत्नी को सरकारी नौकरी दे।
उक्ताशय की मांग करते हुए जांजगीर चांपा के संवेदनशील विधायक ब्यास कश्यप ने बताया कि नरोत्तम यादव नवागढ़ ब्लाक के पुटपुरा का रहने वाला था। नरोत्तम यादव 01.11.2017 से जिला परियोजना कार्यालय लाइवलीहुड कालेज जांजगीर में कलेक्टर दर पर भृत्य (डीपीसीएल) कार्य कर रहा था तथा उसी से अपने पूरे परिवार का किसी तरह भरण पोषण करते आ रहा था। 17.01.2024 से जिला पंचायत, स्थापना जिला जांजगीर चांपा में नरोत्तम को संलग्न कर दिया गया था।
नरोत्तम के परिवार में उसके अलावा उसका एक दिव्यांग नाबालिग पुत्र ओम यादव और पत्नी सरस्वती यादव हैं। नरोत्तम यादव की पत्नी सरस्वती यादव और उनकी साली सीमा यादव ने बताया है कि घर का एकमात्र कमाने वाला व्यक्ति नरोत्तम ही था जिसको पिछले लगभग एक वर्ष से पेमेंट देना बंद कर दिए थे तथा पांच छः माह पूर्व से लाइवलीहुड के अधिकारी लोग उपस्थिति भी नहीं ले रहे हैं, जिससे उसे अपने और अपने परिवार की चिंता सताने लगी। इसी टेंशन में नरोत्तम बीमार पड़ गया। गंभीर रूप से बीमार होने का पता चलने से पहले तक लगातार वह ड्यूटी करता रहा तथा अपने पेमेंट की मांग करता रहा, अधिकारी उससे काम तो लेते रहे लेकिन उसे सेलरी मिल रही है अथवा नहीं, उस गरीब का परिवार कैसे चल रहा है इसकी चिंता किसी को नहीं रही। 30 अप्रैल 2025 को नरोत्तम को एम्स रायपुर में भर्ती कराया गया जहां से जीवन के अंतिम दिनों में 27 मई 2025 को नरोत्तम ने मुख्यमंत्री माननीय विष्णु देव साय और जिले के प्रभारी मंत्री माननीय ओ पी चौधरी को भी पत्र लिखकर न्याय की गुहार लगायी। नरोत्तम को न्याय तो नहीं मिला, 3-4 जून की दरमियानी रात को एम्स रायपुर में इलाज के दौरान नरोत्तम यादव की मौत हो गई। नरोत्तम यादव के मौत के जिम्मेदार प्रदेश की संवेदनहीन सरकार और यहां के जवाबदार अधिकारी ही है। सरकार ने नरोत्तम के जीते जी उससे न्याय नहीं किया, सरकार में यदि अब भी थोड़ी सी भी संवेदनशीलता बची होगी तो नरोत्तम की मौत के बाद न्याय करे, उसके परिजनों को 25 लाख का मुआवजा दे तथा उसकी पत्नी सरस्वती यादव को सरकारी नौकरी दे।

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