सरकारी आवासों पर बेजाकब्ज़ा: स्थानांतरण के बाद भी नहीं छोड़ रहे मकान, प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल

जंजगीर, छत्तीसगढ़: जिले में सरकारी आवासों पर बेजाकब्ज़ा एक गंभीर समस्या बन गई है। विभाग के ऐसे कर्मचारी और अधिकारी, जिनका स्थानांतरण (ट्रांसफर) दूसरे जिलों में हो चुका है, वे भी अपने सरकारी आवास खाली करने का नाम नहीं ले रहे हैं। इसके कारण नए आने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।
जानकारी के अनुसार, कई अधिकारी और कर्मचारी दूसरे जिलों में स्थानांतरित होने के बावजूद, यहां के सरकारी मकानों पर अपना कब्जा जमाए हुए हैं। वे इन मकानों में रहते नहीं हैं, बल्कि रोज अपने नए कार्यस्थल से यहां आना-जाना करते हैं। यह न सिर्फ सरकारी नियमों का उल्लंघन है, बल्कि इससे सरकार को राजस्व का भी नुकसान हो रहा है।
एक तरफ, जिन अधिकारियों को यहां काम करने के लिए रूम आवंटित किए गए हैं, वे भी इनका उपयोग नहीं कर रहे हैं और बाहर से आना-जाना कर रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि जब उनके पास रहने की जगह है, तो फिर वे ऐसा क्यों कर रहे हैं? यह स्थिति कार्यक्षमता और अनुशासन दोनों पर सवाल खड़े करती है।
इस पूरे मामले पर स्थानीय प्रशासन की ढिलाई भी साफ नजर आ रही है। अगर समय रहते सख्त कार्रवाई की जाती, तो यह समस्या इतनी विकराल नहीं होती। आम जनता और अन्य कर्मचारियों की मांग है कि ऐसे अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। उनके सरकारी आवास तुरंत खाली करवाए जाएं और नियमों का उल्लंघन करने पर जुर्माना भी लगाया जाए।
यह स्थिति दिखाती है कि सरकारी संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। प्रशासन को इस मामले में तुरंत संज्ञान लेते हुए एक व्यापक अभियान चलाना चाहिए ताकि सरकारी आवासों का सही उपयोग सुनिश्चित हो सके और पात्र लोगों को उनका हक मिल सके।