जांजगीर-चांपा में सरकारी गाड़ियों और फ्लैशर लाइट का दुरुपयोग, शासन को लग रहा करोड़ों का चूना

जांजगीर-चांपा जिले में सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा सरकारी गाड़ियों और फ्लैशर लाइट का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग हो रहा है। ये अधिकारी और कर्मचारी सरकारी संसाधनों का इस्तेमाल अपने निजी कामों के लिए कर रहे हैं, जिससे सरकार को हर महीने करोड़ों का चूना लग रहा है। यह बात तब और भी गंभीर हो जाती है जब पता चलता है कि कई अधिकारी अपने जिले में आवंटित सरकारी आवास में रहने के बजाय, अपने गृह नगर से ही रोजाना आना-जाना करते हैं।
बेरोक-टोक चल रहा दुरुपयोग
यह एक आम समस्या बन गई है कि सरकारी अधिकारी और कर्मचारी दफ्तर के समय के बाद भी सरकारी गाड़ियों का उपयोग अपने घर आने-जाने, परिवार के सदस्यों को लाने-ले जाने और अन्य व्यक्तिगत कार्यों के लिए कर रहे हैं। इन गाड़ियों में इस्तेमाल होने वाले ईंधन (डीजल) का खर्च भी सरकारी खजाने से ही जाता है। इससे न सिर्फ वित्तीय नुकसान हो रहा है, बल्कि सरकारी नियमों का भी खुला उल्लंघन हो रहा है।
अनेक जिलों में यह देखा गया है कि आला अधिकारी, जिन्हें जिले में ही रहना अनिवार्य होता है, वे भी अपने गृह जिलों में रहकर सरकारी गाड़ी से प्रतिदिन आना-जाना करते हैं। उन्हें जिले में सरकारी आवास भी आवंटित हैं, लेकिन वे इनमें रहने से बचते हैं। इस तरह की लापरवाही से सरकारी कार्य में भी बाधा आती है, क्योंकि आपातकालीन स्थितियों में अधिकारी तत्काल उपलब्ध नहीं हो पाते।
फ्लैशर लाइट का गलत इस्तेमाल
फ्लैशर लाइट, जिसका उपयोग केवल आपातकालीन सेवाओं और महत्वपूर्ण सरकारी ड्यूटी के लिए होता है, उसका भी दुरुपयोग धड़ल्ले से जारी है। कई अधिकारी और कर्मचारी अपनी गाड़ियों में बिना किसी अधिकार के फ्लैशर लाइट लगाकर सड़कों पर चलते हैं, जिससे वे आम जनता पर अपनी धौंस जमा सकें। यह एक गंभीर सुरक्षा उल्लंघन है और यातायात नियमों के खिलाफ भी है।
सरकारी संसाधनों के इस दुरुपयोग पर लगाम लगाना बेहद जरूरी है। सरकार को इस मामले में कड़े कदम उठाने चाहिए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। यदि इस तरह की अनियमितताओं पर रोक नहीं लगाई गई, तो यह सरकार की छवि को धूमिल करेगा और जनता के बीच असंतोष बढ़ाएगा।




