छत्तीसगढ़

जिले में कांग्रेस के कमजोर प्रदर्शन के लिये डां चरणदास महंत कितने जिम्मेदार ? उन नेताओ की भुमिका का क्या जिन्हे सत्ता और संगठन के नेतृत्व का मौका मिला है।

जांजगीर चाम्पा । पृथक छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद जिले में कांग्रेस की जीत का सेहरा कई बार पुर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के सर पर बांधा गया था। पर पार्टी के कमजोर प्रदर्शन के लिये दबे जुबान डां चरण दास महंत को जिम्मेदार ठहराया जाता है।

अविभाजित मध्यप्रदेश के दिग्विजय सरकार में आबकारी वाणिज्य गृह तथा जनसम्पर्क जैसे बड़े विभागों के मंत्री, युपीये सरकार -2 में केंद्रीयमंत्री तथा पृथक छत्तीसगढ राज्य में कई बार कांग्रेस की बागडोर सम्हाल चुके डां चरणदास महंत के गृह जिले में कांग्रेस का प्रदर्शन पिछले दो दशक से कमजोर रहा है। महंत चरण दास के पास राज्य से लेकर केंद्र तक की बड़ी-बड़ी ज़िम्मेदारियां है। उनके गृह जिले जांजगीर चाम्पा की कमान महंत के सिपहसालारों थामते है।

सांसद चुने जाने के बाद वर्ष 1998 के विधानसभा चुनाव में डा चरण दास महंत ने अपने परम्परागत सीट से मोतीलाल देवांगन को कांग्रेस का उम्मीदवार बनाया था लेकिन देवांगन चुनाव हार गये थे। महंत के सांसद बनने से पहले सांसद भवानी लाल वर्मा भी जांजगीर लोक सभा से चुनाव हार गये थे । यहीं से महंत पर नेताओं को मदद नही करने का आरोप लगना शुरू हुआ था। डां महंत सुश्री शशिकान्ता राठौर को पामगढ़ विधान सभा से कांग्रेस का उम्मीदवार बनाना चाहते पर एन वक्त में बी फार्म में से सुश्री राठौर का नाम कट गया था ।

डां चरणदास महंत जांजगीर लोकसभा से दो बार सांसद चुने गये थे 2004 में वे भी चुनाव हार आरक्षण के कारण उन्होंने 2009 का लाेकसभा चुनाव कोरबा से लड़ा 2011 में उन्हें केंद्र में बनाया गया था । 2004 के बाद जांजगीर_चाम्पा लोकसभा सीट से डां शिव डहरिया प्रेम चंद्र जायसी और सत्ता में वापसी के बाद 2019 में रवि भारद्वाज को उम्मीदवार बनाया गया था पर सबको हार का सामना करना पड़ा ।

वर्ष 2000 में पृथक छत्तीसगढ़ राज्य का जन्म हुआ और राज्य के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी कांग्रेस के ताकतवर नेता के रूप नें उभरे थे। विद्या भैय्या और डां महंत से जुड़े लोग सीएम जोगी के शरण में जाने लगे। वर्ष 2003 के विधान सभा चुनाव में जोगी कोटे से पुन: मोतीलाल देवांगन को जांजगीर चाम्पा सीट से कांग्रेस का उम्मेदवार बनाया था ईस बार देवांगन विधायक चुने गये ।जीत का श्रेय जोगी को मिला। जोगी के नेतृत्व में लड़े ईस चुनाव में कांग्रेस को प्रदेश में बहुमत नही मिला। राज्य में भाजपा को सरकार बनाने का मैका मिला । तब से 2018 के चुनाव तक देवांगन को कांग्रेस का पांच बार उम्मीदवार बनाया जा चुका है वे दो बार जीते है तीन बार हारे है।

2008 के पहले तक अलकतरा विधानसभा से डां राकेश सिंह को महंत कोटे से कई बार कांग्रेस का उम्मीदवार बनाया गयी था पर डां सिह एक बार ही जीत पाये थे ।

वर्ष 2008 में कांग्रेस अध्यक्ष धनेंद्र साहु ने जाति समीकरण के हवाले से साहु समाज के चुन्नीलाल साहु को अकलतरा से कांग्रेस का उम्मीदवार बनाया पर साहु चुनाव हार गये वर्ष 2013 में चुन्नीलाल साहु को जोगी कोटे से अलकतरा से दुसरी बार कांग्रेस का उम्मीदवार बनाया, साहु रिकार्ड मतो से ये चुनाव जीते, जीत का श्रेय एक बार अजीत जोगी के खाते में गया 2018 के चुनाव में जोगी कांग्रेस से अलग होकर अपनी अलग पार्टी बना चुके थे । ईस बार विधायक चुन्नीलाल साहु को कांग्रेस अध्यक्ष भुपेश बघेल ने अलकतरा से उम्मीदवार बनाया था लेकिन जोगी की ख़ासियत थी कि वे बना सकते थे तो बिगाड़ भी सकते थे जोगी के कारण ईस चुनाव में चुन्नीलाल साहु को बुरी कदर हार का सामना करना पड़ा और वे तीसरे स्थान पर पहुंच गये । चुन्नी अब प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष है।

डां चरणदास महंत सक्ति से विधायक है इससे पहले उन्होंने मनहरण राठौर को दो बार सक्ति से कांग्रेस का उम्मीदवार बनाया था। पर राठौर दोनों चुनाव हार गये थे एक बार उनकी पत्नी सरोजा राठौर सक्ति से जीतनें में कामयाब हुई थी।

जिला मुख्यालय जांजगीर के आरक्षित नगरपालिका के अध्यक्ष पद के लिये रमेश पैगवार को तीन बार उम्मीदवार बनाया गया था दो बार हारने के बाद 2009 में तीसरी बार के चुनाव में कांग्रेस जिलाध्यक्ष वेदप्रकाश शर्मा ने प्रचार के लिये पुर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी को बुलाया था पैगवार चुनाव जीत गये। 2014 के पालिका चुनाव में महंत गुट से तान्या रवि पाण्डेय को पालिका अध्यक्ष का उम्मीदवार बनाया गया था पर तान्या चुनाव हार गई अभी पाण्डेय अब भुपेश बघेल के साथ है प्रदेश कांग्रेस के सचिव है अगले विधानसभा ।

अविभाजित मध्यप्रदेश द्वारा वर्ष 1998 में जांजगीर चाम्पा को स्वतंत्र जिला बनाया था। कांग्रेस के पहले जिलाअध्यक्ष पुर्व विधायक शिव प्रसाद शर्मा से लेकर वेदप्रकाश शर्मा शशिकान्ता राठौर दिनेश शर्मा तथा रश्मि गबेल को डां चरणदास महंत के अनुशंसा पर जिलाध्यक्ष बनाया गया था। कहने का मतलब – तकदीर बनाने वाले डां महंत ने कमी ना कि अब किसको क्या मिला ये मुक्कदर की बात है ।

पिछले दो दशक के राजनितिक लेखा जोखा के बाद अब आप भी समझ सकते हैं कि, जिले में कांग्रेस के कमजोर प्रदर्शन के लिये जिम्मेदार- डां चरणदास महंत है या वे स्थानिय नेता है जिन्हें सत्ता और संगठन स्तर जिले का नेतृत्व करने का कई बार अवसर मिला था ।

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