छत्तीसगढ़

कोरबा जिले में शिक्षा विभाग के विवादित सहायक संचालक के आर डहरिया का अवर सचिव स्कूल शिक्षा छग शासन से की गई शिकायत

अवर सचिव स्कूल शिक्षा छग शासन को हुई शिकायत

स्वयंभू डी ई ओ बनकर उड़ा दी नियमो की धज्जियां उच्च अधिकारी के अनुमति बिना ही त्यागपत्र दे चुके शिक्षक की कर दी पुनः नियुक्ति और मामला गरम होता देख किया निरस्त

लेनदेन की सुगबुगाहट

कलेक्टर के आदेश को किया बाई पास, कलेक्टर ने लिया संज्ञान

जारी हो सकता है नोटिस, कड़ी कार्यवाही की संभावना

जिले के शिक्षा अधिकारी गोवर्धन भारद्वाज के निलंबन के पश्चात इसी विभाग में सहायक संचालक के रूप में संलग्न के आर डहरिया जिनका मूल पद व्याख्याता का है, जो स्वयं को प्रभारी प्राचार्य जैसा पद बताकर शासन स्तर से सहायक संचालक का आदेश करवा विवादो के साथ यथावत स्थापित है।


पिछले वर्ष हुए सहायक शिक्षक से प्रधान पाठक के पदांकन में इन्होंने जो मनचाहे जगह पर पोस्टिंग की पर्चियां सील मुहर और हस्ताक्षर के साथ बाटी थी, जिस पर उच्च न्यायालय के अधिवक्ता ने लोक शिक्षण संचालनालय को पत्र लिखकर अवगत कराया था। जिस पर लोक शिक्षण संचालनालय ने डहरिया की दो वेतन वृद्धि तक रोकने का आदेश किया था।
कुछ दिन पूर्व के आर डहरिया ने जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में एक तानाशाही आदेश निकलकर सभी को प्रभावित किया, जिस पर लिपिकों ने नाराजगी जाहिर करते हुए, कलेक्टर एवं लोक शिक्षण संचलालय तक इसकी शिकायत कर दी थी। जिसकी जांच हेतु कलेक्टर ने जिला पंचायत सीईओ को जांच अधिकारी बनाकर जांच शुरू कर दी है,परंतु डहरिया अपने कृत्यों से अब भी बाज नही आ रहे।

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शासन द्वारा तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी गोवर्धन प्रसाद भारद्वाज के निलंबन के पश्चात कलेक्टर महोदय द्वारा डिप्टी कलेक्टर प्रदीप साहू जी को प्रशासनिक व्यवस्था के तहत जिला शिक्षा अधिकारी का प्रभार दिया था।
इस बार तो के आर डहरिया कलेक्टर और डिप्टी कलेक्टर जैसे अधिकारियों को बाईपास करके ऐसा कृत्य कर दिए जिसकी वजह से कोरबा जिला प्रशासन एवं शिक्षा विभाग दोनो ही शर्मसार हो सकते हैं। मूल पद व्याख्याता के आर डहरिया ने स्वयं को जिला शिक्षा अधिकारी घोषित कर एक ऐसा आदेश किया है जिसमे पूर्व में त्यागपत्र दिए हुए एक शिक्षक को दुबारा कार्यभार ग्रहण की बात लिखी हुई है। विषय यह है कि इस तरह का तकनीकी त्यागपत्र में कार्यभार पुनः ग्रहण करने का आदेश वही अधिकारी निकाल सकता है जिसके पास डीडीओ पावर होता है वो भी अपने उच्च अधिकारियों की सहमती लेकर ही वह आदेश कर सकता है। परंतु के आर डहरिया ने बिना किसी से सहमति लिए ऐसा कृत्य किया है। कही ऐसा तो नहीं कि इस आदेश के लिए भी कोई बड़ा लेनदेन हुआ हो
अंदर खाने ये भी बाते हो रही कि दर्जनों शिकायतों के बाद भी यह व्यक्ति अपने पद पर बना हुआ है, जबकि इसे इसके मूल शाला छिंदपुर के लिए रिलीव कर दिया जमा लाजमी होगा। कुछ लोग इसमें जिला प्रशासन पर भी प्रश्न चिन्ह लगा रहे।
के आर डहरिया पर इतना कुछ होने के बाद भी कार्यवाही नही होने पर छोटे कर्मचारियों में डर का माहोल है, साथ ही यह चरितार्थ भी कर रहा कि इससे बड़ा नेता कोई नही है। आगे जिला प्रशासन की मर्जी है कि वो इसे यथावत रखेगा या इस पर कोई कड़ी कार्यवाही कर कोरबा के शिक्षा विभाग के अधिकारी कर्मचारियों को राहत प्रदान करेगा।

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