छत्तीसगढ़

बालोद के झलमला में निवासियों ने निकाली भव्य चुनरी यात्रा

बालोद

बालोद जिले के ग्राम झलमला के विख्यात मां गंगा मैया मंदिर में नवरात्रि के पर्व की धूम देखने को मिल रही है। ऐसे में यहां ग्राम झलमला के निवासियों ने भव्य चुनरी यात्रा निकाली।

इस चुनरी यात्रा में डीजे और धूमल की धुनों पर भक्त झूमते हुए नजर आए। पूरे गांव का भ्रमण करने के बाद यहां पर चुनरी मां गंगा मैया को समर्पित की गई। हजारों की संख्या में भक्त मौजूद रहे और इस चुनरी शोभा यात्रा को लेकर भक्तों में उत्साह देखने को मिला।

जिला पंचायत सदस्य पूजा साहू ने बताया कि आस्था के इस महापर्व में खुशनसीब हूं कि इस चुनरी यात्रा में शामिल होने का मौका मिला। आयोजक समिति सदस्य आदित्य दुबे ने बताया कि प्रत्येक वर्ष यह आयोजन होता है। पहले युवाओं ने इसकी शुरुआत की थी फिर हर वर्ग का समर्थन मिला और आज पूरा गांव ने मिलकर चुनरी यात्रा निकाली।

माता को समर्पित की चुनरी
पूरे गांव का भ्रमण करने के बाद यह चुनरी मां गंगा मैया को समर्पित की गई। यात्रा में शामिल हुई जिला पंचायत सदस्य पूजा साहू ने बताया कि इस गौरव शाली क्षण में भक्तों का उत्साह देखते ही बन रहा है। मां गंगा मैया बालोद जिले की आस्था की देवी हैं। हर व्यक्ति की आस्था माता के साथ जुड़ी हुई है और इस चुनरी यात्रा में आस्था का सैलाब देखने को मिल रहा है।

जानिए मां गंगा मैया मंदिर और उसकी कहानी
मां गंगा मैया की कहानी अंग्रेज शासनकाल से जुड़ी हुई है। आज से तकरीबन 110 साल पहले जिले की जीवनदायिनी तांदुला नदी की नहर का निर्माण चल रहा था। इस दौरान झलमला गांव की आबादी महज 100 थी। सोमवार के दिन ही यहां बाजार लगता था। जहां दूरस्थ अंचलों से पशुओं के विशाल समूह के साथ सैकड़ों लोग आया करते थे। पशुओं की अधिकता से पानी की कमी महसूस की जाती थी।

पानी की कमी को पूरा करने के लिए तालाब बनाने डबरी की खुदाई की गई। जिसे बांधा तालाब नाम दिया गया। मां गंगा मैया के प्रादुर्भाव की कहानी इसी तालाब से शुरू होती है। जिस जगह पर वर्तमान में देवी की प्रतिमा स्थापित है, वहां पहले तालाब था, जहां पानी भरा रहता था।

किवंदती अनुसार एक दिन ग्राम सिवनी का एक केवट मछली पकड़ने के लिए बांधा तालाब में गया। तब जाल में मछली की जगह पत्थर की प्रतिमा फंस गई। केवट ने अज्ञानतावश उसे साधारण पत्थर समझ फिर से तालाब में फेंक दिया।

मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा
गांव के गोंड़ जाति के बैगा को स्वपन में आकर कहा कि मैं जल के अंदर पड़ी हूं। मुझे जल से निकालकर प्राण प्रतिष्ठा कराओ। स्वप्न आने की जानकारी बैगा ने मालगुजार व गांव के अन्य लोगों को जानकारी दी। जाल फेंके जाने पर वही प्रतिमा फंसी।

समझा साधारण पत्थर
देवी मां की प्रतिमा को लेकर कई किवदंतिया प्रचलित है। केवट के जाल में बार-बार फंसने के बाद मूर्ति को साधारण पत्थर समझकर फेंकने की घटना को वर्तमान में भी यहां के निवासरत लोग अपनी पूर्वजों से मिली जानकारी अनुसार सही मानते हैं। सभी ने मिलकर प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा कराई। जल से प्रतिमा निकली, इस वजह से गंगा मैया के नाम से पहचान बनी।

Related Articles

Leave a Reply

Back to top button