राष्ट्रीय

पढ़ाई का मोल पढ़नेवाले ही जानते हैं, बुलडोज़र विध्वंसक शक्ति का प्रतीक है, ज्ञान, बोध या विवेक का नहीं: अखिलेश यादव

नोएडा
समाजवादी पार्टी के प्रमुख और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शुक्रवार को एलान किया कि वह अंबेडकर नगर की 8 वर्षीय 'वायरल गर्ल' अनन्या की पढ़ाई का खर्चा उठाएंगे। अनन्या का एक वीडियो पिछले दिनों वायरल हुआ था, जिसमें वह बुलडोजर एक्शन के बीच अपनी किताबों को सीने से लगाकर भागते हुए दिखी थी। इस वीडियो की चर्चा सुप्रीम कोर्ट तक में हुई थी।

अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पहले ट्विटर) के जरिए अनन्या की मदद का एलान करते हुए प्रदेश की योगी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जो बच्चों का भविष्य उजाड़ते हैं, दरअसल वो बेघर होते हैं। हम इस बच्ची की पढ़ाई का संकल्प उठाते हैं। उन्होंने कहा कि पढ़ाई का मोल पढ़नेवाले ही जानते हैं। बुलडोज़र विध्वंसक शक्ति का प्रतीक है, ज्ञान, बोध या विवेक का नहीं। बुलडोज़र अहंकार के ईंधन से, दंभ के पहियों पर सवार होकर चलता है, इसमें इंसाफ़ की लगाम नहीं होती है।

गौर हो कि योगी सरकार की बुलडोजर एक्शन नीति पूरे देश में चर्चा का विषय बनी हुई है, इस मॉडल का इस्तेमाल कई अन्य राज्यों में भी देखा जा रहा है। इस मामले को लेकर दो धड़ों के बीच वैचारिक टकराव भी देखने को मिलता है। जहां एक ओर इसे सख्त शासनिक नीति का प्रतीक बताया जाता है तो दूसरी तरफ इसके इस्तेमाल को शक्ति प्रदर्शन भी कहा जाता है। इन दोनों बहसों के बीच अनन्या का मार्मिक वीडियो चर्चा का केंद्र बन गया।

क्या है पूरा मामला
बीते 21 मार्च को अजईपुर गांव में सरकारी भूमि से अतिक्रमण हटाने पहुंची प्रशासनिक टीम का बुलडोजर झोपड़ियों को ध्वस्त करने लगा। वर्षों से यहां ठिकाना जमाए लोग मवेशियों और सामानों को बचाने में जुट गए थे। इसी कतार में मजदूर अभिषेक यादव की झोपड़ी थी। बगल झोपड़ी से धुंआ उठने लगा तो, अभिषेक अपने गृहस्थी का समान समेटने में लगा था। परिवार के पालन पोषण में राशन, बिस्तर व कपड़ों तक उसका ध्यान रहा, लेकिन बेटी अनन्या की किताबों को वह भूल गए। अपनी किताबों को नहीं देख अनन्या चिल्लाई मेरी किताब जल जाएगी और बचाने के लिए दौड़ गई।

बुलडोजर और आग से डरे बिना वह झोपड़ी के अंदर पहुंची और अपने किताबों को समेटने लगी। यह देख कर प्रशासन के हाथ पैर फूलने लगे। बच्ची के जान पर आई आफत देखकर प्रशासनिक अधिकारी और पुलिस कर्मी पीछे दौड़ उसके पास पहुंचे और बाहर निकालने लगे। अनन्या अपनी किताबों को सीने से लगाकर रोती निकली और माता-पिता के पास पहुंच गई। किताबें बचाने के बाद वह आत्मसंतोष के भाव से चुप होकर कातर निगाहों ने भीड़ को निहारती रही।

बेटी की जुबां से पढ़ते माता-पिता
अभिषेक और नीतू अशिक्षित हैं, लेकिन शिक्षा का महत्व अपनी बेटी अनन्या और बेटे आदर्श को बताया है। छोटे भाई आदर्श को लेकर अनन्या रोज स्कूल जाती है। वह अपने घर में स्कूल जाने व पढ़ने वाली पहली है। माता-पिता उसी के जुबां से काले अक्षर पहचानते हैं। IAS बनने का सपना संजोए बेटी को पढ़ाकर मजदूर माता-पिता अपने सुनहरे भविष्य देख रहे हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Back to top button