जांजगीर-चांपा। भगवान श्रीराम के शहर में लगे झंडे को उतारकर कौमी एकता का झंडा लगाए जाने के मामले में भाजपा ने बड़ा बयान जारी किया है। भाजपा ने अपने बयान में कहा है राम छाप शब्द का उपयोग करना ही उनकी मानसिकता को प्रदर्शित करता है। अयोध्या में रामलला का मंदिर बना है वो इन्हें पच नहीं रहा है, जिसके चलते इस तरह अर्नगल बयानबाजी कर रहे हैं। ये आपस में ही लड़कर समाप्त हो जाएंगे। सनातनियों का कोई बाल बांका नहीं कर पाएगा।
लोकसभा चुनाव अपने पूरे शबाब पर है। राजनीतिक दलों के नेताओं का आरोप-प्रत्यारोप भी जोरों पर है। जांजगीर चांपा लोकसभा सीट से भाजपा ने श्रीमती कामलेश जांगड़े पर दांव खेला है तो वहीं कांग्रेस ने पूर्व मंत्री शिव डहरिया को मैदान में उतारा है। इसी बीच कौमी एकता मंच के अध्यक्ष व कांग्रेस नेता विवेक सिंह सिसोदिया ने नगरपालिका सीएमओ को एक पत्र लिखकर सरगर्मी तेज कर दी है। पत्र में उन्होंने शहर के विभिन्न मार्गों और विद्युत खंभों में लगाए गए भगवान श्रीराम के झंडों को उतारकर उसकी जगह तिरंगा, जय सतनाम लिखा सफेद झंडा, जय भीम लिखा नीला झंडा, जय सूर्यांश लिखा नीला व पीला झंडा तथा कौमी एकता द्वारा निर्धारित झंडों को लगाने की मांग की है। इस पर भाजपा ने कड़ी टिप्पणी की है। भाजपा नेता पुरूषोत्तम शर्मा ने कहा कि पत्र में राम छाप शब्द का उल्लेख करना ही उनकी मानसिकता को प्रदर्शित करता है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि भगवान श्रीराम के एक भी झंडे को कोई नहीं निकाल पाएगा। इसी तरह मीडिया प्रभारी पंकज अग्रवाल ने कहा कि पहले राम मंदिर लोकार्पण का निमत्रण ठुकराया और अब भगवान श्रीराम के शहर में लगे झंडे को उतारने की मांग करना कांग्रेस की ओछी मानसिकता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि भगवान सभी के आदर्श है, उनके लिए राम छाप शब्द का उपयोग करना ही संकीर्ण मानसिकता का प्रतीक है। बहरहाल, भगवान श्रीराम पर हो रही राजनीति का कितना नफा-नुकसान दोनों दल को हो सकता है यह आने वाला समय दिखाएगा। लेकिन एक बात तो तय है यह मामला अब तूल पकड़ते जा रहा है।