छत्तीसगढ़

आरसमेटा में हुई भीषण दुर्घटना में मुलमुला पुलिस ने पेश क़ी मानवता की मिसाल, घायल महिला को समय पर अस्पताल पहुंचाकर बचाई उसकी जान

जांजगीर-चांपा। मुलमुला के आरसमेटा में हुई हृदयविदारक दुर्घटना ने सबको झकझोर कर रख दिया। इस घटना में जहां मुलमुला पुलिस की मानवीय चेहरा सामने आया। पुलिस ने घायल महिला को समय पर अस्पताल पहुंचाया, जिसके चलते उसकी जान बच गई। इन सबके बावजूद इस मामले में खूब राजनीति हुई, जिसके चलते सड़क जाम रहा और लोगों को आवागमन करने बहुत ही परेशानी का सामना करना पड़ा।
मूलमुला थाना क्षेत्र के ग्राम आरसमेटा मोड़ पर बीते 27 अप्रैल को हुई भीषण दुर्घटना में एक ही परिवार के तीन लोगों की मौत हो गई। वहीं एक महिला सतरूपा कश्यप उम्र 35 वर्ष गंभीर रूप से घायल हो गई थी, जिसे मृत बताया जा रहा था। लेकिन मुलमुला पुलिस ने समय पर पहुंचकर महिला को अस्पताल पहुंचाया। इस वजह से महिला की जान बच गई। वहीं दुर्घटना में मृत रामकुमार कश्यप (45 वर्ष), चन्द्रप्रकाश (19 वर्ष), आशा कश्यप (03 वर्ष) के शव को उठाकर पीएम के लिए पामगढ़ पहुंचाया गया। इसी तरह दुर्घटनाकारित वाहन के चालक मोहम्मद मनंद को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। इन सबके बावजूद कुछ अवसरवादी वर्ग को खून से सनी लाशो पर राजनीति करने अवसर दिखाई दिया। वहीं पुलिस के इस मानवीय कार्य को नजरअंदाज करते हुए शव को घसीटते हुए एंबुलेंस में डालने का आरोप भी लगाया गया। इस दौरान कुछ राजनीतिक मठाधीशों को अपनी खोई हुई राजनीतिक विरासत पाने का अवसर भी दिखा। कुछ जनप्रतिनिधी इस कदर संवेदनाविहिन हो चुके थे कि वे जीवित सतरूपा को मृत बताने से भी नहीं चुके और लोगो से सस्ती सहानुभूति व वोट बैंक पाने की कोशिश करते रहे। यह घटना निश्चत ही मन को विचलित करने वाली है लेकिन इस घटना से कई सवाल भी खड़ा होता है। क्या एक बाइक पर चार लोगों की सवारी करना उचित है? क्या एफआईआर के पहले किसी फर्म से लाश दिखाकर सौदा हो सकता है? और क्या कोई निर्वाचित जनप्रतिनिधि अपने शासकीय मद से आर्थिक सहायता नहीं कर सकता है? ऐसे लोग केवल जनता और कैमरे के आगे घड़ियाली आंसू बहाने से बाज नहीं आते। ऐसे कई समाज के सामने खड़ा है। खास बात यह है कि मानवीय काम करने के बाद भी लगभग चौबीस घंटे जाम को बहाल करने की कोशिश और चौराहे पर सामाज़ के हित में खडी पुलिस बल प्रयोग कर जाम में फंसे लोगों को राहत देने का प्रयास नहीं करना चर्चा का विषय है। बहरहाल इस घटना के बाद जहां किसी को सस्ती प्रसिद्धि मिली तो मृत परिवार को आर्थिक सहायता लेकिन पुलिस को क्या मिला चक्काजाम, थाना घेराव और मुर्दाबाद के नारे। जबकि पुलिस की तत्परता प्रशंसा योग्य है, जिसके लिए उन्हें सम्मानित किया जाना चाहिए था।

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