छत्तीसगढ़

कोरबा जिले के उरगा थाना क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम बेचुलभाटा में एक बार फिर अवैध शराब जब्ती की कार्रवाई विवादों में घिर गई।

कोरबा-चांपा मार्ग पर स्थित इस गांव में उस समय तनाव की स्थिति निर्मित हो गई, जब अवैध शराब जब्त करने गए आबकारी विभाग और पुलिस विभाग के कर्मचारियों को ग्रामीणों ने बंधक बना लिया।मिली जानकारी के अनुसार, पुलिस विभाग कोरबा के लगभग आधा दर्जन अधिकारी और कर्मचारी ग्राम बेचुलभाटा में अवैध शराब निर्माण और बिक्री की सूचना पर पहुंचे थे। उन्होंने एक ग्रामीण के घर पर छापा मारा। ग्रामीणों का आरोप है कि छापे में अधिक मात्रा में शराब बरामद नहीं हुई, लेकिन इसके बावजूद पुलिसकर्मी उस ग्रामीण की पत्नी और एक अन्य महिला को पकड़कर ले जाने लगे। जब ग्रामीणों ने इसका कारण पूछा तो कथित तौर पर एक महिला को धक्का दिया गया और तीनों को पुलिस चौकी ले जाया गया।इस घटना की जानकारी जब गांव के अन्य लोगों को हुई, तो उन्होंने गांव में मौजूद विभागीय कर्मचारियों को बंधक बना लिया। ग्रामीणों ने शर्त रखी कि जब तक पकड़ी गई महिलाओं को रिहा नहीं किया जाएगा, तब तक वे बंधक बनाए गए कर्मचारियों को गांव से नहीं जाने देंगे।विभाग के कर्मचारियों को बंधक बनाए जाने की सूचना मिलते ही पुलिस के उच्च अधिकारी तुरंत गांव पहुंचे और ग्रामीणों को समझाने का प्रयास किया। काफी देर तक चली मान-मनौव्वल के बाद ग्रामीणों ने बंधक बनाए गए कर्मचारियों को रिहा कर दिया।ग्रामीणों का आरोप है कि आबकारी और पुलिस विभाग के कर्मचारी गांव में अक्सर आते हैं और थोड़ी सी भी शराब मिलने पर उसे अधिक मात्रा में दर्शाकर जब्ती की धमकी देते हैं। इसके बाद कार्यवाही न करने के एवज में मोटी रकम की मांग की जाती है। ग्रामीणों का यह भी कहना है कि इस तरह की हरकतों से वे परेशान हैं।यह उल्लेखनीय है कि यह पहली बार नहीं है जब बेचुलभाटा के ग्रामीणों ने इस तरह की कार्रवाई की है। इससे पहले भी गांव के लोगों ने उरगा पुलिस के कुछ कर्मचारियों को बंधक बना लिया था, जिन्हें काफी मशक्कत के बाद छुड़ाया जा सका था। इस ताजा घटना से एक बार फिर क्षेत्र में आबकारी और पुलिस विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं।

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