कोर्ट के आदेश की अवेहलना: जिला शिक्षा अधिकारी की लापरवाही का खामियाजा भुगत रहे प्रिंसिपल चक्रपाल तिवारी,की ज्वाइनिंग अटकी

जांजगीर चांपा। जिला शिक्षा अधिकारी जिला शिक्षा अधिकारी की कथित लापरवाही के चलते चक्रपाल तिवारी प्रभारी प्रिंसिपल जिन्हें विगत दो वर्षों से जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में संलग्न रखा गया है, को मानसिक रूप से और प्रताड़ित करते हुए अप्रैल माह जब किसी भी विद्यालय में अध्यापन नहीं किया जाता तब उन्हें बिना उच्च कार्यालय की अनुमति अध्यापन व्यवस्था हेतु अन्यत्र जाने का मनमाना आदेश थमा दिया फलस्वरूप चक्रपाल तिवारी को स्थगन हेतु मजबूरन कोर्ट की शरण जाना पड़ा, स्थगन आदेश के बावजूद अपनी ज्वाइनिंग के लिए उन्हें संघर्ष करना पड़ रहा है। यह मामला न्यायपालिका के आदेशों की खुली अवेहलना का प्रतीक बन गया है, जिससे पीड़ित प्रभारी प्रिंसिपल मानसिक और आर्थिक रूप से परेशान हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, चक्रपाल तिवारी को किसी कारणवश उनके पद से जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में संलग्निकृत कर दिया गया था, समस्त सलग्नीकरण निरस्तीकरण के आदेश के बावजूद चक्रपाल तिवारी का संलग्नीकरण जारी रखना समझ से परे है, सूत्रों की मानें तो इसके पीछे जिला शिक्षा अश्वनी भारद्वाज अधिकारी की ओर से बरती जा रही लापरवाही मुख्य कारण है। आरोप है कि अधिकारी द्वारा आवश्यक कागजी कार्यवाही को समय पर पूरा नहीं किया जा रहा है, जिसके चलते प्रिंसिपल तिवारी को अपनी ड्यूटी पर लौटने का अवसर नहीं मिल पा रहा है।
इस पूरे घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए चक्रपाल तिवारी ने अपनी निराशा व्यक्त की। उन्होंने कहा कि कोर्ट का आदेश आने के बाद उन्हें उम्मीद थी कि जल्द ही वे अपने विद्यालय में वापस लौट सकेंगे, लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी के उदासीन रवैये के कारण उनकी परेशानियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। उन्होंने संबंधित उच्च अधिकारियों से इस मामले में हस्तक्षेप करने और उन्हें न्याय दिलाने की गुहार लगाई है।
यह घटना शिक्षा विभाग के भीतर व्याप्त कथित लापरवाही और जवाबदेही की कमी को उजागर करती है। एक तरफ जहाँ न्यायपालिका द्वारा दिए गए आदेशों का पालन सुनिश्चित करना प्रशासनिक अधिकारियों का कर्तव्य है, वहीं दूसरी तरफ इस मामले में बरती जा रही ढिलाई से सवाल उठते हैं कि क्या जिला शिक्षा अधिकारी जानबूझकर कोर्ट के आदेश की अवेहलना कर रहे हैं या फिर यह उनकी कार्यशैली का हिस्सा है।
फिलहाल, चक्रपाल तिवारी ज्वाइनिंग के लिए बाट जोह रहे हैं, जबकि शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन इस मामले पर चुप्पी साधे हुए है। देखना यह होगा कि कब तक प्रिंसिपल तिवारी को न्याय मिलता है और कब जिला शिक्षा अधिकारी की इस कथित लापरवाही पर कोई कार्रवाई होती है। यह मामला न केवल पीड़ित प्रिंसिपल के लिए बल्कि न्यायपालिका और प्रशासनिक व्यवस्था के लिए भी एक गंभीर चुनौती बन गया है।



इस मामले पर जिला शिक्षा अधिकारी से बात की गई तो जिला शिक्षा अधिकारी भारद्वाज का कहना है की कोर्ट के आदेश का पालन किया जाएगा।