सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित कोयला लेवी और जिला खनिज निधि (DMF) घोटालों में आरोपी रानू साहू, सूर्यकांत तिवारी, सौम्या चौरसिया और समीर विश्नोई को अंतरिम जमानत प्रदान की है। हालांकि, यह जमानत सशर्त है और उन्हें फिलहाल जेल से रिहाई नहीं मिलेगी।

जमानत की शर्तें
सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ, जिसमें न्यायमूर्ति सूर्यकांत और दीपांकर दत्ता शामिल थे, ने आरोपियों को अंतरिम जमानत दी है, बशर्ते वे ट्रायल कोर्ट की संतुष्टि के लिए जमानती बॉन्ड प्रस्तुत करें।
कोर्ट ने निर्देश दिया है कि रानू साहू, सूर्यकांत तिवारी, सौम्या चौरसिया और समीर विश्नोई अगले आदेश तक छत्तीसगढ़ राज्य में नहीं रहेंगे, सिवाय इसके कि वे आवश्यकता पड़ने पर जांच एजेंसी या ट्रायल कोर्ट के समक्ष उपस्थित रहें।
रिहाई के एक सप्ताह के भीतर, उन्हें राज्य के बाहर अपने निवास का पता संबंधित थाने को सूचित करना होगा।
आरोपियों को अपने पासपोर्ट विशेष अदालतों में जमा करने होंगे और जांच में पूरा सहयोग करना होगा।
यदि वे गवाहों से संपर्क करने या सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने का प्रयास करते हैं, तो यह अंतरिम जमानत की शर्तों का उल्लंघन माना जाएगा।
पृष्ठभूमि
यह मामला छत्तीसगढ़ के कोयला लेवी और DMF घोटालों से संबंधित है, जिसमें सरकारी अधिकारियों और व्यवसायियों पर करोड़ों रुपये के भ्रष्टाचार के आरोप हैं। जांच एजेंसियों ने आरोप लगाया है कि इन घोटालों में सरकारी अधिकारियों ने ठेकेदारों से भारी कमीशन लिया और सरकारी निधियों का दुरुपयोग किया।
वर्तमान स्थिति
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दी है, लेकिन अन्य कानूनी औपचारिकताओं के कारण आरोपियों की तत्काल रिहाई संभव नहीं है। अदालत ने स्पष्ट किया है कि जांच की निष्पक्षता बनाए रखने के लिए यह कदम उठाया गया है।
इस फैसले को छत्तीसगढ़ में चल रहे भ्रष्टाचार विरोधी अभियानों के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण मोड़ माना जा रहा है, जो राज्य की प्रशासनिक पारदर्शिता और जवाबदेही को सुनिश्चित करने की दिशा में उठाया गया कदम है।