लाइफस्टाइल

बच्चे के लिए गेमचेंजर साबित होगा AI ‘अप्पू’

नई दिल्ली

भारत में प्रारंभिक शिक्षा बड़े बदलाव के दौर से गुजर रही है. इसी दिशा में दिल्ली स्थित गैर-लाभकारी संगठन रॉकेट लर्निंग ने हाल ही में ‘अप्पू’ नामक एक AI-आधारित लर्निंग टूल लॉन्च किया है, जिसे Google के सहयोग से विकसित किया गया है. यह तीन से छह साल तक के बच्चों को व्यक्तिगत और संवादात्मक तरीके से सीखने में मदद करता है. खासतौर पर कमजोर वर्ग के बच्चों के लिए इसे गेमचेंजर माना जा रहा है.

रॉकेट लर्निंग के को-फाउंडर विशाल सुनील और अज़ीज़ गुप्ता के अनुसार, पारंपरिक एडटेक प्लेटफॉर्म अक्सर एक जैसी सामग्री दोहराते हैं, जिससे बच्चों की बौद्धिक जिज्ञासा प्रभावित होती है. अप्पू इसे बदलता है, क्योंकि यह बच्चों को संवाद के जरिए सीखने में मदद करता है. अगर कोई बच्चा किसी विषय को समझने में संघर्ष करता है, तो यह उसे नए उदाहरणों और तरीकों से सिखाने की कोशिश करता है.

आवाज के ज़रिए सीखने पर जोर
भारत में वॉयस नोट्स का उपयोग दुनिया में सबसे अधिक होता है. इसे ध्यान में रखते हुए अप्पू को आवाज़-आधारित लर्निंग टूल के रूप में डिजाइन किया गया है. फिलहाल यह हिंदी में उपलब्ध है, लेकिन जल्द ही मराठी, पंजाबी समेत 20 भाषाओं में लॉन्च किया जाएगा.

AI का मानवीय पक्ष
अप्पू को केवल ज्ञान देने वाली मशीन नहीं, बल्कि एक संरचित और संवादात्मक अनुभव देने वाला ट्यूटर बनाया गया है. रॉकेट लर्निंग ने इसे विकसित करने से पहले बेहतर शिक्षकों और देखभालकर्ताओं के तरीकों का अध्ययन किया, ताकि यह बच्चों के लिए संस्कृति-संगत और व्यावहारिक बन सके.

गूगल का सपोर्ट
गूगल के ग्लोबल प्रोग्राम डायरेक्टर एनी लेविन के अनुसार, गूगल ऐसी संस्थाओं को समर्थन देता है, जो बड़े सामाजिक मुद्दों को हल करने के लिए AI का उपयोग कर रही हैं. उन्होंने बताया कि गूगल ने अब तक $200 मिलियन से अधिक की राशि AI-आधारित सामाजिक परियोजनाओं को दी है.

चुनौतियां और आगे की राह
हालांकि, AI पर अत्यधिक निर्भरता से बच्चों की सोचने-समझने की क्षमता पर असर पड़ सकता है. इसीलिए अप्पू को बच्चों के जिज्ञासु दिमाग को बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन किया गया है.

एक बड़ी चुनौती डिजिटल साक्षरता की कमी भी है. इसे देखते हुए अप्पू को व्हाट्सएप के जरिए उपलब्ध कराया गया है, ताकि माता-पिता इसे आसानी से उपयोग कर सकें. साथ ही, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को इसमें सक्रिय रूप से जोड़ा गया है.

50 मिलियन बच्चों तक पहुंचने का लक्ष्य
रॉकेट लर्निंग का लक्ष्य 2030 तक 50 मिलियन परिवारों तक अप्पू को पहुंचाना है. संगठन का मानना है कि अगर AI-आधारित शिक्षा का फायदा केवल विशेष वर्ग तक सीमित रहा, तो समाज में AI डिवाइड बढ़ सकता है. इसे रोकने के लिए वे इसे एक सार्वजनिक डिजिटल संसाधन के रूप में विकसित कर रहे हैं.

सरकार के सहयोग से आंगनवाड़ी केंद्रों को शुरुआती शिक्षा के मजबूत केंद्र में बदलने की योजना है. AI की मदद से भारत में प्रारंभिक शिक्षा को समावेशी और प्रभावी बनाने की यह एक बड़ी पहल है.

Related Articles

Leave a Reply

Back to top button