
नई दिल्ली
देश में कोरोना के मामले एक बार फिर तेज गति से बढ़ रहे हैं। आंकड़े बताते हैं कि कोविड के एक्टिव केस अब 3395 पहुंच चुके हैं, यहां भी 24 घंटे में चार लोगों की मौत होना चिंताजनक है। इस समय केरल में सबसे ज्यादा कोरोना के मामले सामने आए हैं, वो देश में कोविड का नया एपीसेंटर बन चुका है।
केरल बना कोविड एपीसेंटर
केरल में इस समय सक्रिय मरीजों की संख्या 1336 है, वहीं कर्नाटक सरकार ने सावधानी बढ़ाते हुए एक सर्कुलर जारी कर दिया है। उस सर्कुलर में कहा गया है कि लोगों को समय-समय पर अपने हाथ धोने चाहिए, भीड़ भाड़ वाले इलाकों में मास्क पहनने की हिदायत भी दी गई है।
कैसे बढ़ी कोरोना की रफ्तार?
अब समझने वाली बात यह है कि देश में कोरोना के मामले तेज गति से बढ़ रहे हैं। आंकड़े बताते हैं कि 22 मई को देश में सिर्फ 257 सक्रिय मरीज थे, लेकिन 4 दिन के भीतर यानी कि 26 मई को यही आंकड़ा बढ़कर 1010 तक पहुंच गया। बात अगर सिर्फ पिछले 24 घंटे की करें तो 685 नए मामले सामने आए हैं। वैसे बढ़ते कोरोना के मामलों के बीच डॉक्टरों का कहना है कि लोगों में गंभीर लक्षण नहीं हैं, ऐसे में डरने की या पैनिक करने की कोई आवश्यकता नहीं है, सिर्फ जरूरी नियमों का पालन करना होगा और सोशल डिस्टेंसिंग वाले रूल को एक बार फिर फॉलो करना होगा।
देश में 22 मई को रोगियों की संख्या 257 थी। 26 मई तक यह आंकड़ा बढ़कर 1,010 हो गया और शनिवार को 3,395 पर पहुंच गया। आंकड़ों के मुताबिक पिछले 24 घंटे में 685 नए मामले सामने आए हैं और चार लोगों की मौत हुई है। आंकड़ों में कहा गया है कि केरल में 1,336, महाराष्ट्र में 467, दिल्ली में 375, गुजरात में 265, कर्नाटक में 234, पश्चिम बंगाल में 205, तमिलनाडु में 185 और उत्तर प्रदेश में 117 लोग संक्रमित हैं।
वहीं, ओडिशा में दो और लोगों के कोरोना से संक्रमित पाए जाने के बाद राज्य में कुल मामलों की संख्या सात हो गई है। राज्य के स्वास्थ्य सचिव अश्वथी एस ने यह जानकारी दी। उन्होंने लोगों से न घबराने की अपील करते हुए कहा कि सभी मरीजों की हालत स्थिर है।
उन्होंने कहा, "आईसीएमआर की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि मौजूदा स्वरूप में गंभीर लक्षण नहीं दिखते और ज्यादातर मामले हल्के हैं। साथ ही, केंद्र ने कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किए हैं, लेकिन सभी को बदलते मौसम के मद्देनजर सतर्क रहने की सलाह दी है।" अधिकारी ने कहा कि राज्य सरकार आवश्यक सावधानी बरत रही है।
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने सोमवार को कहा था कि पश्चिम और दक्षिण भारत में नमूनों की जीनोम अनुक्रमण से पता चला है कि नये स्वरूप गंभीर नहीं हैं और ये ओमीक्रॉन के उप-स्वरूप हैं। उन्होंने कहा था कि ओमीक्रोन के चार उपस्वरूप एलएफ.7, एक्सएफजी, जेएन.1 और एनबी. 1.8.1 सामने आए हैं। उन्होंने कहा था कि पहले तीन स्वरूप के मामले ज्यादा हैं।
डॉ. बहल ने कहा था, “हम स्थिति पर करीब से नजर रख रहे हैं। इस समय, कुल मिलाकर, हमें निगरानी रखनी चाहिए, सतर्क रहना चाहिए, लेकिन चिंता की कोई बात नहीं है।”
एनबी.1.8.1 और एलएफ.7 सब वेरिएंट क्या है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एनबी.1.8.1 और एलएफ.7 दोनों को ‘मॉनीटरिंग के तहत वेरिएंट’ के तौर पर रखा है। इसका आसान शब्दों में मतलब है कि इस वक्त इन दोनों पर बारीकी से नजर रखी जा रही है और वे अभी तक ज्यादा परेशानी के कारण नहीं बने हैं। द हिंदू की एक रिपोर्ट के अनुसार , माना जाता है कि चीन और एशिया के अन्य हिस्सों में कोविड-19 मामलों में हालिया बढ़ोतरी के पीछे ये सब वेरिएंट ही हैं।
ये दोनों वेरिएंट कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन में कई बदलाव करते हैं, जो इसे आसानी से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में ट्रांसफर करते हैं। इससे लोगों में यह वेरिएंट फैलने का ज्यादा जोखिम होता है।