मध्य प्रदेश

7 माह की गर्भवती दुष्कर्म पीड़िता के केस में हाई कोर्ट सख्त, सरकार से पूछा- जानकारी क्यों नहीं दी?

जबलपुर
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने साढ़े 7 माह की गर्भवती दुष्कर्म पीड़िता के मामले की सूचना देने में लापरवाही के मामले में राज्य सरकार को आवश्यक विवरण के साथ केस डायरी पेश करने के निर्देश दिए हैं, जिससे नाबालिग के गर्भपात तथा दोषियों के खिलाफ कार्रवाई पर निर्णय लिया जा सके. जस्टिस अमित सेठ ने याचिका पर सोमवार को सुनवाई के दौरान पेश किये गये दस्तावेजों का अवलोकन करते हुए बालाघाट सीएमएचओ को पीडित के संबंध में स्टेटस रिपोर्ट पेश करने के निर्देश जारी किए. याचिका पर अगली सुनवाई 12 जून को होगी.

बालाघाट जिला अदालत ने लिखा हाई कोर्ट को पत्र

बता दें कि बालाघाट जिला अदालत ने दुष्कर्म पीड़ित 14 वर्षीय लड़की के गर्भपात की अनुमति के लिए हाई कोर्ट को पत्र लिखा था. हाई कोर्ट को ये पत्र 26 मई को प्राप्त हुआ. पत्र के साथ सिविल सर्जन की रिपोर्ट में दुष्कर्म की रिपोर्ट थाने में कब दर्ज हुई, इसका कोई उल्लेख नहीं था. इससे पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था " दुष्कर्म पीड़िता के गर्भवती होने के संबंध में गर्भपात के लिए हाई कोर्ट ने 20 फरवरी 2025 को पारित आदेश में गाइडलाइन निर्धारित की है. दुष्कर्म के कारण पीड़ित के गर्भवती होने की सूचना थाना प्रभारी द्वारा आवश्यक रूप में संबंधित न्यायालय को प्रदान की जाएगी. नाबालिग पीड़िता 24 हफ्ते (करीब 6 महीने) से ज्यादा गर्भवती हो, तो गर्भपात के लिए हाई कोर्ट से मार्गदर्शन लेना होगा. यह आदेश सभी जिम्मेदार विभागों को दिया गया था."

आवश्यक विवरण के साथ केस डायरी पेश करें

एकलपीठ ने राज्य सरकार को निर्देशित किया है "सभी आवश्यक विवरण और केस डायरी के साथ रिपोर्ट पेश करें कि किन परिस्थितियों में नाबालिग लड़की को साढ़े 7 महीने का गर्भ समाप्त करने में देरी हुई. रिपोर्ट अगली सुनवाई या उससे पहले दाखिल की जाए, जिससे नाबालिग लड़की के गर्भ को समाप्त करने के लिए उचित निर्देश जारी किए जा सकें और लापरवाही करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जा सके."

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