छत्तीसगढ़
अमर शहीद जवानों और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का अपमान जर्जर स्मारक से शासन-प्रशासन की छवि धूमिल, जन आक्रोश चरम पर ऐसे लापरवाह cmo को इस कृत्य के लिए बर्खास्त करने की उठ रहीं मांग !
अमर शहीद जवानों और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का अपमान जर्जर स्मारक से शासन-प्रशासन की छवि धूमिल, जन आक्रोश चरम पर ऐसे लापरवाह cmo को इस कृत्य के लिए बर्खास्त करने की उठ रहीं मांग !
जांजगीर, [11 जून, 2025]: जांजगीर-चांपा जिले के हृदय स्थल पर स्थित अमर शहीद स्मारक, जो हमारे देश के वीर सपूतों और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के अदम्य साहस और सर्वोच्च बलिदान का जीवंत प्रतीक है, आज स्वयं अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। नगर पालिका जांजगीर की घोर लापरवाही और उदासीनता के चलते यह गौरवशाली स्मारक जर्जर हो चुका है। इसकी दीवारें अब बांस और बल्लियों के सहारे टिकी हुई हैं, जो किसी भी क्षण ढह सकती हैं। यह भयावह दृश्य न केवल शहीदों का घोर अपमान है, बल्कि यह सीधे तौर पर नगर पालिका प्रशासन की संवेदनहीनता, अक्षमता और उसके परिणामस्वरुप समग्र शासन-प्रशासन की छवि को धूमिल कर रहा है।
बांस-बल्लियों के सहारे टिका गौरव: एक शर्मनाक सच्चाई
शहर के मुख्य चौराहे पर स्थित यह शहीद स्मारक, जहां हर वर्ष गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस और अन्य राष्ट्रीय पर्वों पर पूरे सम्मान के साथ श्रद्धा सुमन अर्पित किए जाते हैं, वह अब जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है। इसकी दीवारों में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ गई हैं और उन्हें गिरने से बचाने के लिए अस्थायी रूप से बांस और बल्लियों का सहारा दिया गया है। यह स्थिति देखकर हर संवेदनशील नागरिक का मन व्यथित हो रहा है। यह दृश्य स्पष्ट संदेश देता है कि जिस स्मारक पर हमारे शहीदों के नाम अंकित हैं, उसकी ऐसी दुर्गति क्यों की गई है? क्या नगर पालिका को इन अमर बलिदानियों का कोई सम्मान नहीं? यह स्थिति शासन-प्रशासन की उस प्रतिबद्धता पर प्रश्नचिन्ह लगाती है, जो वे शहीदों के सम्मान के प्रति दिखाते हैं।
नगर पालिका की प्राथमिकताओं पर गंभीर सवाल और बिगड़ती छवि:
शहरवासियों में इस मुद्दे को लेकर गहरा आक्रोश व्याप्त है। उनका स्पष्ट कहना है कि नगर पालिका जांजगीर के पास सौंदर्यीकरण और अन्य दिखावटी तथा गैर-जरूरी कार्यों के लिए करोड़ों रुपये का बजट है, लेकिन हमारे शहीदों के सम्मान के प्रतीक इस स्मारक की मरम्मत के लिए उनके पास न तो फंड है और न ही इच्छाशक्ति। एक स्थानीय निवासी ने गुस्से में कहा, “यह बेहद शर्मनाक है। क्या पालिका को उन जवानों और स्वतंत्रता सेनानियों की याद नहीं आती जिनकी बदौलत आज हम आजाद भारत में जी रहे हैं? यह सीधे तौर पर उनका अपमान है।” यह उदासीनता न केवल नगर पालिका के प्रति जनता के विश्वास को कम कर रही है, बल्कि इससे जिले और राज्य स्तर पर भी शासन-प्रशासन की छवि लगातार खराब हो रही है। जनता के बीच यह संदेश जा रहा है कि सरकार अपने वीर सपूतों के बलिदान को भी गंभीरता से नहीं ले रही।
हादसे का इंतजार या नैतिक पतन? सार्वजनिक सुरक्षा पर भी खतरा
जिस तरह से स्मारक की दीवारें बांस और बल्लियों के सहारे टिकी हैं, उससे किसी भी बड़े हादसे की आशंका बनी हुई है। यह स्मारक शहर के अत्यंत व्यस्त चौराहे पर स्थित है, जहां से प्रतिदिन हजारों लोग, स्कूली बच्चे और वाहन गुजरते हैं। अगर यह स्मारक ढह जाता है, तो जान-माल का बड़ा नुकसान हो सकता है। यह स्थिति बताती है कि नगर पालिका किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रही है, या फिर उसने नैतिक रूप से इतनी गिरावट कर ली है कि उसे शहीदों के सम्मान और नागरिकों की सुरक्षा की भी परवाह नहीं है। यह लापरवाही शासन के उन दावों पर भी पानी फेरती है, जो वह सुशासन और जनहित में काम करने के लिए करता है।
तत्काल मरम्मत की मांग: अन्यथा जन आंदोलन की चेतावनी
जांजगीर की जनता और विभिन्न सामाजिक संगठनों ने नगर पालिका जांजगीर से तत्काल प्रभाव से शहीद स्मारक की प्राथमिकता के आधार पर मरम्मत और जीर्णोद्धार की मांग की है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि इस दिशा में जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो उन्हें मजबूरन जन आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा। यह सिर्फ एक इमारत का सवाल नहीं, बल्कि हमारे राष्ट्रीय गौरव और शहीदों के प्रति हमारी श्रद्धा का सवाल है। नगर पालिका को अपनी नींद से जागना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि जांजगीर के हृदय स्थल पर स्थित यह पवित्र स्मारक हमेशा हमारे शहीदों के बलिदान की गाथा को गरिमापूर्ण तरीके से कहता रहे, ताकि शासन-प्रशासन की धूमिल हो रही छवि को बचाया जा सके और शहीदों को उनका उचित सम्मान मिल सके।
![अमर शहीद जवानों और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का अपमान जर्जर स्मारक से शासन-प्रशासन की छवि धूमिल, जन आक्रोश चरम पर ऐसे लापरवाह cmo को इस कृत्य के लिए बर्खास्त करने की उठ रहीं मांग !<br><br><br>जांजगीर, [11 जून, 2025]: जांजगीर-चांपा जिले के हृदय स्थल पर स्थित अमर शहीद स्मारक, जो हमारे देश के वीर सपूतों और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के अदम्य साहस और सर्वोच्च बलिदान का जीवंत प्रतीक है, आज स्वयं अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। नगर पालिका जांजगीर की घोर लापरवाही और उदासीनता के चलते यह गौरवशाली स्मारक जर्जर हो चुका है। इसकी दीवारें अब बांस और बल्लियों के सहारे टिकी हुई हैं, जो किसी भी क्षण ढह सकती हैं। यह भयावह दृश्य न केवल शहीदों का घोर अपमान है, बल्कि यह सीधे तौर पर नगर पालिका प्रशासन की संवेदनहीनता, अक्षमता और उसके परिणामस्वरुप समग्र शासन-प्रशासन की छवि को धूमिल कर रहा है।<br>बांस-बल्लियों के सहारे टिका गौरव: एक शर्मनाक सच्चाई<br>शहर के मुख्य चौराहे पर स्थित यह शहीद स्मारक, जहां हर वर्ष गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस और अन्य राष्ट्रीय पर्वों पर पूरे सम्मान के साथ श्रद्धा सुमन अर्पित किए जाते हैं, वह अब जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है। इसकी दीवारों में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ गई हैं और उन्हें गिरने से बचाने के लिए अस्थायी रूप से बांस और बल्लियों का सहारा दिया गया है। यह स्थिति देखकर हर संवेदनशील नागरिक का मन व्यथित हो रहा है। यह दृश्य स्पष्ट संदेश देता है कि जिस स्मारक पर हमारे शहीदों के नाम अंकित हैं, उसकी ऐसी दुर्गति क्यों की गई है? क्या नगर पालिका को इन अमर बलिदानियों का कोई सम्मान नहीं? यह स्थिति शासन-प्रशासन की उस प्रतिबद्धता पर प्रश्नचिन्ह लगाती है, जो वे शहीदों के सम्मान के प्रति दिखाते हैं।<br>नगर पालिका की प्राथमिकताओं पर गंभीर सवाल और बिगड़ती छवि:<br>शहरवासियों में इस मुद्दे को लेकर गहरा आक्रोश व्याप्त है। उनका स्पष्ट कहना है कि नगर पालिका जांजगीर के पास सौंदर्यीकरण और अन्य दिखावटी तथा गैर-जरूरी कार्यों के लिए करोड़ों रुपये का बजट है, लेकिन हमारे शहीदों के सम्मान के प्रतीक इस स्मारक की मरम्मत के लिए उनके पास न तो फंड है और न ही इच्छाशक्ति। एक स्थानीय निवासी ने गुस्से में कहा, "यह बेहद शर्मनाक है। क्या पालिका को उन जवानों और स्वतंत्रता सेनानियों की याद नहीं आती जिनकी बदौलत आज हम आजाद भारत में जी रहे हैं? यह सीधे तौर पर उनका अपमान है।" यह उदासीनता न केवल नगर पालिका के प्रति जनता के विश्वास को कम कर रही है, बल्कि इससे जिले और राज्य स्तर पर भी शासन-प्रशासन की छवि लगातार खराब हो रही है। जनता के बीच यह संदेश जा रहा है कि सरकार अपने वीर सपूतों के बलिदान को भी गंभीरता से नहीं ले रही।<br>हादसे का इंतजार या नैतिक पतन? सार्वजनिक सुरक्षा पर भी खतरा<br>जिस तरह से स्मारक की दीवारें बांस और बल्लियों के सहारे टिकी हैं, उससे किसी भी बड़े हादसे की आशंका बनी हुई है। यह स्मारक शहर के अत्यंत व्यस्त चौराहे पर स्थित है, जहां से प्रतिदिन हजारों लोग, स्कूली बच्चे और वाहन गुजरते हैं। अगर यह स्मारक ढह जाता है, तो जान-माल का बड़ा नुकसान हो सकता है। यह स्थिति बताती है कि नगर पालिका किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रही है, या फिर उसने नैतिक रूप से इतनी गिरावट कर ली है कि उसे शहीदों के सम्मान और नागरिकों की सुरक्षा की भी परवाह नहीं है। यह लापरवाही शासन के उन दावों पर भी पानी फेरती है, जो वह सुशासन और जनहित में काम करने के लिए करता है।<br>तत्काल मरम्मत की मांग: अन्यथा जन आंदोलन की चेतावनी<br>जांजगीर की जनता और विभिन्न सामाजिक संगठनों ने नगर पालिका जांजगीर से तत्काल प्रभाव से शहीद स्मारक की प्राथमिकता के आधार पर मरम्मत और जीर्णोद्धार की मांग की है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि इस दिशा में जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो उन्हें मजबूरन जन आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा। यह सिर्फ एक इमारत का सवाल नहीं, बल्कि हमारे राष्ट्रीय गौरव और शहीदों के प्रति हमारी श्रद्धा का सवाल है। नगर पालिका को अपनी नींद से जागना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि जांजगीर के हृदय स्थल पर स्थित यह पवित्र स्मारक हमेशा हमारे शहीदों के बलिदान की गाथा को गरिमापूर्ण तरीके से कहता रहे, ताकि शासन-प्रशासन की धूमिल हो रही छवि को बचाया जा सके और शहीदों को उनका उचित सम्मान मिल सके। 25 KSHITITECH 19 10 2024 18jan 22 18102024 566 KSHITITECH](https://kesariyabharat.in/wp-content/uploads/2025/06/19_10_2024-18jan_22_18102024_566-780x470.jpg)