ग्वालियर का CBG plant करेगा कमाल, 350 टन कचरा रोज़ बनेगा CNG और खाद

ग्वालियर
शहर में कचरे से निजात पाने और स्वच्छ वातावरण की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। नगर निगम ग्वालियर द्वारा प्रस्तावित मध्यप्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा वेस्ट आधारित सीबीजी (कंप्रेस्ड बायोगैस) प्लांट अब केदारपुर डंपसाइड पर स्थापित किया जाएगा। इस प्लांट को बनाने की लागत करीब 75 करोड़ रुपये होगी और इसे लगभग 5.5 हेक्टेयर भूमि पर तैयार किया जाएगा।
प्रोजेक्ट को मिली स्वीकृति
ग्वालियर नगर निगम के अपर आयुक्त मुनीष सिंह सिकरवार ने बताया कि सरकार से इस परियोजना को स्वीकृति मिल चुकी है और जल्द ही इसके निर्माण के लिए टेंडर जारी कर दिए जाएंगे। यह प्लांट शहर में हर दिन निकलने वाले 350 टन गीले और सूखे कचरे को प्रोसेस करेगा। इसमें से गीले कचरे से बायो सीएनजी गैस और खाद तैयार की जाएगी। प्लांट से प्रतिदिन करीब 9 टन बायो सीएनजी गैस का उत्पादन होगा, जिसका उपयोग नगर निगम के वाहनों में किया जाएगा और साथ ही इसे कमर्शियल रूप से भी बेचा जाएगा। इससे नगर निगम को अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होगा।
सूखे कचरे के लिए बनेगा अलग प्लांट
इसके अतिरिक्त, 277 टन सूखे कचरे के लिए भी अलग प्लांट लगाया जाएगा, जिससे प्लास्टिक और अन्य रीसायक्लिंग योग्य सामग्री का निष्पादन किया जाएगा। इस योजना से न केवल शहर को कचरे के ढेर से छुटकारा मिलेगा, बल्कि स्वच्छता अभियान को भी मजबूती मिलेगी। पहले इस प्लांट को चंदुआखुर्द डंपयार्ड में लगाया जाना था, लेकिन भूमि की कमी और स्थानीय विवादों के चलते स्थान बदलकर केदारपुर किया गया है। यह लैंडफिल्ड साईट अब धीरे-धीरे खाली हो रही है, जिससे यहां प्लांट निर्माण संभव हो सका।
2027 तक पूरा होगा प्रोजेक्ट
यह परियोजना साल 2027 तक पूरी होने की संभावना है। साथ ही डबरा, दतिया और बमौर जैसे आस-पास के क्षेत्रों से भी कचरा लाकर यहां प्रोसेस किया जाएगा। इस सीबीजी प्लांट की स्थापना ग्वालियर को स्वच्छ और हरित शहर बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी।
शासन से स्वीकृति, जल्द होंगे टेंडर
ग्वालियर में मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा गोबर आधारित बायो सीएनजी प्लांट लगाया गया था, जिससे ना सिर्फ प्रतिदिन 100 टन गोबर का निष्पादन हो रहा बल्कि इससे बन रही 1 टन बायो सीएनजी निगम का राजस्व भी बढ़ा रही है. अब इंदौर के बाद प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा सीबीजी प्लांट भी ग्वालियर में स्थापित होने जा रहा है. ग्वालियर नगर निगम ने इसके लिए प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा था और इस पर स्वीकृति भी मिल चुकी है. इस प्लांट में प्रतिदिन शहर से इकट्ठा किया 350 टीपीटी (टन प्रति दिन) सूखा और गीला कचरा से बायो सीएनजी गैस और खाद तैयार की जाएगी.
सूखे कचरे के लिए अलग से होगा एक प्लांट
शहर में लगने वाले कचरे के ढेर से निजात पाने के लिए ये अच्छा विकल्प नगर निगम ने तैयार किया है. ग्वालियर नगर निगम के अपर आयुक्त मुनीष सिंह सिकरवार ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि, ''ये प्लांट सरकार द्वारा स्वीकृत किया गया है इसके साथ ही एक और प्लांट स्थापित किया जाएगा. जिसके जरिए प्रतिदिन 277 टीपीटी सूखा कचरा भी निष्पादित किया जाएगा. ये एक बहतरीन व्यवस्था होगी जिससे शहर में कचरे के जगह जगह लगने वाले ढेरों से छुटकारा मिलेगा और वातावरण साफ सुथरा होगा.''
साढ़े 5 हेक्टेयर में बनेगा प्लांट
इस प्लांट को तैयार करने के लिए नगर निगम को अच्छी खासी राशि खर्चनी पड़ेगी. अपर आयुक्त की माने तो इस प्लांट को बनाने में करीब 75 करोड़ रुपये की लागत आएगी. पहले वेस्ट बेस्ड सीबीजी प्लांट को तैयार करने के लिए निगम द्वारा चंदुआखुर्द डंप यार्ड में जमीन प्रस्तावित की गई थी. लेकिन यहां जमीन की कमी और स्थानीय विवादों के चलते बदलने का निर्णय किया गया और अब इसे केदारपुर डंपसाइड पर लगाने का निर्णय लिया गया. ये प्लांट लगभग 5.5 हेक्टेयर जमीन पर स्थापित किया जाएगा. क्योंकि ये लैंडफील्ड साइट अब खाली हो रही है. यहां का कचरा धीरे-धीरे खत्म किया जा रहा है. इसलिए इसी जमीन पर नया सीबीजी प्लांट स्थापित किया जाएगा.
आसपास के क्षेत्रों से भी लाया जाएगा कचरा
केदारपुर डंप साइड पर लगने वाले इस प्लांट में हर दिन शहर के कचरे के साथ ही डबरा दतिया और बमौर क्षेत्र से भी कचरा लाया जाएगा. यहां गीला और सूखा कचरा अलग अलग किया जाएगा. गीले कचरे का उपयोग बायो गैस बनाने में होगा. इसके बाद जो वेस्ट मटेरियल बचेगा उससे खाद तैयार की जाएगी. माना जा रहा है की 350 टीपीटी (टन प्रति दिन) कचरे से हर दिन लगभग 9 टन बायो सीएनजी गैस तैयार होगी. जिसे नगर निगम के वाहनों में इस्तेमाल करने के साथ ही कमर्शियल तौर पर बेचा जाएगा. जिससे की नगर निगम को राजस्व भी प्राप्त होगा.
साल 2027 तक तैयार होगा प्लांट
ग्वालियर नगर निगम के अपर आयुक्त मुनीष सिंह सिकरवार के मुताबिक, ''यह प्लांट अभी पेपरवर्क स्तर पर है. आने वाले एक या दो हफ़्ते में इसके निर्माण के लिए टेंडर भी जारी होने वाले हैं. आने वाले दो से तीन साल में इसका निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा. ऐसे में यह प्लांट इस क्षेत्र में नई उपलब्धि के तौर पर देखा जा रहा है.''