मध्य प्रदेश

राजस्व विभाग ने नामांतरण की सुनवाई में रिकॉर्ड की कमी से बचने नया आदेश जारी किया

भोपाल 

अब संपत्ति के नामांतरण (transfer of property) से पहले होने वाली सुनवाई में रिकॉर्ड की कमी आड़े नहीं आएगी। सरकारी रिकॉर्ड रूम से रिकॉर्ड निकलवाए जाएंगे और उस आधार पर तय तारीखों में सुनवाई होगी। अभी नामांतरण के लिए अर्जी लगाने वालों को ही रिकॉर्ड उपलब्ध कराने होते हैं, जो कई बार आसानी से उपलब्ध नहीं होते। इस तरह समय पर सुनवाई नहीं होती और संबंधितों को परेशान होना पड़ता है। यही नहीं, सरकारी रिकॉर्ड में भी प्रकरणों के लंबित होने की संख्या बढ़ती रहती है।

राजस्व विभाग ने बनाई नई व्यवस्था
नामांतरण (transfer of property) से जुड़े
मामलों में सरकार की पहल पर राजस्व विभाग ने नई व्यवस्था बनवाई है। इस आधार पर राजस्व विभाग ने सभी कलेक्टरों को पत्र जारी कर पालन करने को कहा है। विभाग की ओर से कहा गया है कि सरकारी व निजी जमीनों के नामांतरण से जुड़े प्रकरणों में मंगवाए जाने वाले दस्तावेज संबंधित द्वारा तहसील कार्यालयों से ही प्राप्त किए जाते हैं।

ऐसे में संबंधित रिकॉर्ड हासिल करने से लेकर उन्हें पेश करने की अवधि तक आवेदक परेशान होते हैं। समय भी लगता है। जबकि राजस्व अधिकारियों का भी यह दायित्व है कि वे अभिलेख सुरक्षित रखें। नामांतरण से जुड़े जिन भी मामलों में रिकॉर्ड देखने की जरूरत महसूस हो तो राजस्व निरीक्षक व पटवारी से रिपोर्ट मंगवा लें।

इसलिए उठाया कदम
सरकार के संज्ञान में आया कि जब कोई व्यक्ति किसी जमीन पर विधिपूर्वक अधिकार पाने के लिए नामांतरण के लिए आवेदन करता है तो उससे बंदोबस्त तक या उसके पहले के दस्तावेज मांगे जा रहे हैं, जो कि सभी मामलों में उपलब्ध कराना कई बार मुश्किल होता है। इस तरह जो लोग दस्तावेज उपलब्ध नहीं करा पाते, उनकी सुनवाई टलती रहती है। 

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