महिलाएं नौकरी में कैसे करें चुनौती का सामना?

नई दिल्ली
एआई के आने से कितनी सहूलियत हो गई है न। हमारे वह काम अब चुटकियों में हो जाते हैं, जिनके लिए पहले हम यहां-वहां भटकते थे। पहले मेले में जाते थे तो एक तसवीर खींचने वाली दुकान मिलती थी। नया जोड़ा हो या पूरा परिवार, झील वाले बैकग्राउंड के सामने बड़े शौक से फोटो खिंचवाकर आता था। अब घर की दीवार के आगे खड़े होकर एक क्लिक करो और बैकग्राउंड आराम से एआई से बना लो। सबको यही लगेगा कि आप कहीं बाहर घूमने गई हैं। पर सोचो तो यह उस तस्वीर खींचने वाले के लिए कितना मायूसी भरा होगा, जो शायद अब राह ताकते अपना सामान समेटकर किसी और धंधे को निकल पड़ा। एआई यहीं तक सीमित नहीं है। इसका दायरा पलक झपकने के साथ बढ़ता दिख रहा है। कभी न्यूज चैनल में एआई एंकर नजर आती है, तो कभी किसी को घर बैठे पता चलता है कि अब उसकी नौकरी नहीं रही क्योंकि कंपनी ने उसके जैसे काम के लिए एक सॉफ्टवेयर टूल बनवा लिया है। कंपनी तो अपना मुनाफा ही देखेगी, कर्मचारियों को कम करने से उसे नुकसान नहीं हो रहा, बल्कि अब तो काम और भी जल्दी हो जा रहा। फर्क उसे पड़ रहा है, जिसकी रोटी पर संकट है। यह चिंता अंतरराष्ट्रीय स्तर की है। इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन की मानें तो विश्व भर में पुरुषों की तुलना में महिलाओं को एआई से नौकरी जाने का खतरा तीन गुना ज्यादा है। इस शोध को भारत के संदर्भ में समझना भी जरूरी है।
कौन है ज्यादा प्रभावित
सबसे पहला सवाल यही है कि एआई सबसे ज्यादा किस तरह की नौकरियों पर खतरा बना बैठा है। रिपोर्ट की मानें तो एंट्री लेवल की नौकरियों को एआई की वजह से सबसे ज्यादा खतरा है। पहले जिस काम को करने में ज्यादा वक्त और ज्यादा लोगों की जरूरत पड़ती थी, वही काम अब एआई की मदद से कम समय और कम लोगों से पूरा हो जाता है। इस तरह के काम में कैशियर, टाइपिस्ट, डाटा एंट्री, ट्रांसलेटर, कंटेंट राइटर जैसी नौकरियां आती हैं। इनमें कई लोगों को घर बैठे भी काम मिल रहा है। घरेलू महिलाएं ज्यादातर ऐसी नौकरियां पसंद करती हैं ताकि परिवार और बच्चों की जिम्मेदारियां संभालते हुए वे आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर भी बन सकें। इस स्तर पर देखा जाए तो भारत में भी महिलाएं एआई की वजह से प्रभावित हो सकती हैं।
यूं करें अपस्किलिंग
आपको अपने क्षेत्र को समझने की जरूरत है कि उसमें किस तरह के बदलाव आ रहे हैं। यह काम आपको समय रहते करना होगा तकि आप आगे के लिए खुद को तैयार कर सकें। इसके लिए आप कई तरह के ऑनलाइन कोर्स कर सकती हैं या फिर अपने क्षेत्र में इंटर्नशिप का लाभ उठा सकती हैं। साथ ही ऐसे क्षेत्रों पर गौर करें जो एआई की पकड़ से दूर हैं। अपस्किलिंग के साथ ही आपको अपनी नेटवर्किंग पर भी ध्यान देना होगा क्योंकि किसी भी उद्योग में बने रहने में नेटवर्किंग की अहम भूमिका होती है।
हर बदलाव के लिए तैयारी जरूरी
बदलाव तो प्रकृति का नियम है। हम हमेशा एक तरह से नहीं रह सकते। बदलाव आएगा तो उसे स्वीकारना भी होगा। इस बाबत लोग कहते हैं कि नब्बे के दशक में जब कंप्यूटर लाया जा रहा था, तब भी एक तरह के डर का माहौल था। लोग चर्चा करते थे कि कंप्यूटर आएगा तो नौकरियों पर खतरा मंडराएगा। पर, आज इतने साल बाद इस मुद्दे पर बात करें तो हम महसूस करेंगे कि कंप्यूटर को लेकर उस वक्त की हमारी राय गलत थी। उस वक्त जैसा सोचा गया, उसका उल्टा हुआ। ऐसा ही कुछ इस नए बदलाव के साथ है। अपको बस इसमें ढलना सीखना होगा। एक बात तय है, मशीन या एआई इंसान के काम में उसकी मदद कर सकते हैं, उसकी जगह नहीं ले सकते। आपको बस खुद को उद्योग के हिसाब से ढालते रहने की जरूरत है। अपनी अपस्किलिंग पर काम करें। हर दौर में आपकी नौकरी सुरक्षित रहेगी।
हमें डरना नहीं है
करिअर काउंसलर कहते हैं, 'भारत की बात करें तो यहां आज भी ज्यादातर महिलाएं केयर गिविंग सेक्टर में हैं जैसे नर्सिंग, चिकित्सा, टीचर, केयर टेकर, कुक, फैशन, ब्यूटी वगैरह। ऐसे में ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यहां एआई दखल नहीं दे सकेगा। हां, जिस वर्ग को खतरा है, वहां जेंडर गैप भी बड़ा है। एंट्री लेवल की ही बात करें तो यहां केवल 33 प्रतिशत कार्यरत्त हैं। ऊंचे पदों पर पहुंचने वाली महिलाओं का प्रतिशत भी कम हो जाता है। अगर ऐसे क्षेत्रों में ध्यान दिया जाए जहां आप लंबी पारी खेल सकती हैं, तो खतरे से बची रहेंगी।'