ओडिशा और छत्तीसगढ़ में एसी कोचों में अवैध वेंडरों का आतंक: यात्री बेहाल, RPF और TT पर मिलीभगत का आरोप

भुवनेश्वर रोउलकेला/रायपुर: ओडिशा और छत्तीसगढ़ से गुजरने वाली भारतीय रेल की वातानुकूलित (AC) डिब्बों में अवैध वेंडरों का दबदबा लगातार बढ़ता जा रहा है, जिससे यात्रियों को गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इन वेंडरों की मनमानी और यात्रियों के साथ बदतमीजी आम बात हो गई है। वहीं, रेलवे सुरक्षा बल (RPF) और टिकट चेकर (TT) पर किसी भी तरह की कार्रवाई न करने और यहां तक कि इन अवैध गतिविधियों में उनकी मिलीभगत के गंभीर आरोप लग रहे हैं।
यात्रियों की शिकायत है कि एसी कोच, जो आरामदायक और शांतिपूर्ण यात्रा के लिए होते हैं, उनमें भी ये अवैध विक्रेता बेखौफ होकर घुस आते हैं। वे यात्रियों को जबरदस्ती सामान खरीदने के लिए मजबूर करते हैं, और मना करने पर अक्सर बदतमीजी और झगड़े पर उतर आते हैं। यह स्थिति खासकर लंबी दूरी की ट्रेनों में अधिक देखने को मिलती है, जो इन दोनों राज्यों से होकर गुजरती हैं।
एक चने बेचने वाले वेंडर ने नाम न बताने की शर्त पर चौंकाने वाला खुलासा किया। उसने बताया कि वे RPF और TT का “टारगेट पूरा करने” में मदद करते हैं। वेंडर के मुताबिक, “कभी-कभी हम (वेंडर) ही केस बनवा लेते हैं, ये हमारा कुछ नहीं कर सकते।” यह बयान रेलवे अधिकारियों और इन अवैध गतिविधियों में उनकी संभावित संलिप्तता पर गंभीर सवाल खड़े करता है। यदि यह बात सच है, तो यह दर्शाता है कि अवैध वेंडिंग एक संगठित रैकेट का हिस्सा हो सकता है, जिसमें रेलवे के कुछ कर्मचारी भी शामिल हैं।
यात्री इस स्थिति से बुरी तरह परेशान हैं। एक नियमित यात्री ने बताया, “एसी डिब्बे में भी शांति से यात्रा करना मुश्किल हो गया है। ये वेंडर हर स्टेशन पर घुस आते हैं और देर रात तक परेशान करते रहते हैं। RPF और TT देखते रहते हैं लेकिन कुछ नहीं करते, जिससे उनकी मिलीभगत साफ नजर आती है।”
रेलवे नियमों के अनुसार, ट्रेनों में अनाधिकृत वेंडिंग एक दंडनीय अपराध है। इसके बावजूद, ओडिशा और छत्तीसगढ़ के रेल मार्गों पर यह समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। इस गंभीर स्थिति से निपटने के लिए रेलवे प्रशासन को तत्काल और कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है। केवल खानापूर्ति की कार्रवाई से काम नहीं चलेगा, बल्कि इस पूरे नेटवर्क को तोड़ने और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है, चाहे वे वेंडर हों या रेलवे के भ्रष्ट कर्मचारी।
क्या रेलवे प्रशासन इस गंभीर समस्या पर ध्यान देगा और यात्रियों को अवैध वेंडरों के आतंक से मुक्ति दिलाएगा?