सुप्रीम कोर्ट की स्पेशल बेंच ने आवारा कुत्तों के मामले में सुरक्षित रखा फैसला

नई दिल्ली
दिल्ली-एनसीआर से सभी लावारिस कुत्तों को हटाने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार जोरदार बहस हुई। जस्टिस विक्रम नाथ, संदीप मेहता और एन.वी. अंजारिया की पीठ ने सभी पक्षों को सुनने के बाद ‘अंतरिम रोक’ के लिए दायर याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। बेंच को यह फैसला करना है कि दिल्ली-एनसीआर से सभी कुत्तों को हटाने का दो जजों की बेंच का फैसला कायम रहेगा या नहीं।
जस्टिस नाथ ने सुनवाई के दौरान कहा कि संसद में कानून और नियम बनते हैं, लेकिन उनका पालन नहीं किया जाता है। एक तरफ इंसान पीड़ित हैं तो दूसरी तरफ पशु प्रेमी यहां हैं। जस्टिस नाथ ने सभी पक्षों से शपथ पत्र और सबूत पेश करने को कहा। जस्टिस नाथ ने कहा कि अंतरिम रोक की गुजारिश पर फैसला फिलहाल सुरक्षित रखा जाता है।
बच्चे मर रहे हैं, चिकन-अंडे खाकर कुछ लोग पशु प्रेमी होने का दावा करते हैं: SG
सरकार का पक्ष रखते हुए सॉलिसिटर जनरल दुष्यंत दवे ने कहा कि कुछ लोग चिकन, अंडे आदि खाते हुए दिखते हैं और फिर पशु प्रेमी होने का दावा करते हैं। यह एक ऐसा मुद्दा है जिसका समाधान होना चाहिए। बच्चे मर रहे हैं। डब्ल्यूएचओ का डेता बताता है कि 305 लोगों की हर साल मौत होती है, जिनमें से अधिकतर 15 साल से कम उम्र के हैं। कोई पशु से नफरत करने वाला नहीं है। सैकड़ों जीवों में केवल चार ही जहरीले हैं। हम उन्हें घर में नहीं रखते हैं। कुत्तों को मारा नहीं जाएगा, उन्हें सिर्फ अलग किया जाएगा।
मेरी गुजारिश है कि स्टे लगा दिया जाए: कपिल सिब्बल
कुत्तों के हक में आवाज उठाते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा- पहली बार मैंने एसजी को यह कहते हुए सुना कि कानून है, लेकिन इसे पालन करने की जरूरत नहीं है। उन्होंने पूछा कि क्या कुत्तों का बधियाकरण किया गया है। क्या पैसा दिया गया है? कोई शेल्टर नहीं है। ऐसा आदेश स्वत: संज्ञान लेकर दिया गया। कोई नोटिस नहीं। वे कुत्तों को उठा रहे हैं, वे कहां जाएंगे। आदेश में कहा गया है कि उन्हें छोड़ना नहीं है। यह बहुत गंभीर स्थिति है। इस पर गहराई से बहस होनी चाहिए। मेरी गुजारिश है कि इस पर स्टे लगा दिया जाए।
उठा लिए गए हैं 700 कुत्ते, मार दिए जाएंगे: कपिल सिब्बल
कपिल सिब्बल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला कल शाम को अपलोड किया गया। लेकिन 700 कुत्ते पहले ही उठा लिए गए। भगवान जानता है उनका क्या होगा। उन्हें उठा लिया गया और मार दिया जाएगा।
सरकार ने संसद में कहा कि दिल्ली में रेबीज से कोई मौत नहीं: सिंघवी
वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यदि कुत्तों के लिए शेल्टर बनाए गए होते तो निर्देशों का अर्थ था। हम समाज को लेकर चिंतित हैं। कुत्तों के काटने की समस्या है, लेकिन मीलॉर्ड आप संसदीय डेटा देखकर हैरान होंगे कि 2022-25 तक दिल्ली, गोवा, राजस्थान में रेबीज से शून्य मौतें हैं। कुत्तों का काटना दुखद है, लेकिन आप इस तरह की डरावनी स्थित नहीं बना सकते हैं। सरकार को दो सप्ताह पहले संसद में दिए अपने डेटा को देखना चाहिए।
क्या था दो जजों की बेंच का फैसला
सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की पीठ ने सोमवार को दिल्ली-एनसीआर के सभी इलाकों से लावारिस कुत्तों को उठाकर डॉग शेल्टर ले जाने का आदेश दिया था। साथ ही यह भी सुनिश्चित करने को कहा था कि कुत्ते दोबारा से सड़कों, गलियों और मोहल्लों में वापस नहीं आने चाहिए। जस्टिस जेबी पारदीवाला और आर. महादेवन की पीठ ने 11 अगस्त को आदेश पारित करते हुए दिल्ली-एनसीआर में सक्षम प्राधिकार और अधिकारियों को आवारा कुत्तों के सड़कों, गली-मोहल्लों से उठाकर शेल्टर में रखने सहित कई दिशा-निर्देश जारी किया था।
क्यों सुप्रीम कोर्ट में दोबारा सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट के 11 अगस्त के फैसले पर बड़ी संख्या में पशु प्रेमी और समाज के कई तबगों के लोग निराश हो गए और सुप्रीम कोर्ट से दोबारा विचार की मांग करने लगे। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर मामले में तत्काल सुनवाई की मांग की गई। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ के समक्ष एक अधिवक्ता ने ‘कॉन्फ्रेंस फॉर ह्यूमन राइट्स (इंडिया)’ की याचिका का उल्लेख करते हुए इस पर तत्काल सुनवाई की मांग की। इसके बाद मुख्य न्यायाधीश गवई ने विचार करने का भरोसा दिया था फिर भोजनावकाश के बाद कुछ अधिवक्ता ने दोबारा मुख्य न्यायाधीश के समक्ष मामले का उल्लेख किया और कहा कि कोर्ट के आदेश की प्रति अभी वेबसाइट पर अपलोड नहीं हुई है, लेकिन अधिकारी कुत्ते को उठाने लगे। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा, हम इस पर विचार कर रहे हैं।
संसद नियम और कानून बनाती है लेकिन… आवारा कुत्तों पर सुप्रीम की बड़ी टिप्पणी
: सुप्रीम कोर्ट ने सड़क पर घूमने वाले आवारा कुत्तों से जुड़े मामले में सुनवाई के दौरान बड़ी टिप्पणी की है. मामले पर सुनवाई कर रहे जस्टिस नाथ ने टिप्पणी करते हुए कहा, ‘संसद नियम और कानून बनाती है, लेकिन उनका पालन नहीं होता.’ कोर्ट में सुनावई के दौरान इस मामले से संबंधित लोगों पर टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा कि एक तरफ इंसान पीड़ित हैं और दूसरी तरफ पशु प्रेमी यहां खड़े हैं.‘ जस्टिस नाथ ने कहा, ‘थोड़ी जिम्मेदारी लीजिए… जिन-जिन ने हस्तक्षेप याचिकाएं दायर की हैं, उन्हें हलफनामा दाखिल कर सबूत पेश करने होंगे. आप सभी को.’ सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान मामले में अंतरिम राहत के तहत स्टे लगाने की मांग पर आदेश सुरक्षित रखा.
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रखा
आवारा कुत्तों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार की सुनवाई के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया है. जस्टिस नाथ ने कहा कि ‘हम फिलहाल आदेश नहीं देंगे.’ वहीं कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा, ‘स्थानीय अधिकारी वह नहीं कर रहे हैं जो उन्हें करना चाहिए. उन्हें यहां जिम्मेदारी लेनी चाहिए. यहां हस्तक्षेप दर्ज कराने आए हर व्यक्ति को ज़िम्मेदारी लेनी चाहिए.’
सुप्रीम कोर्ट में आवारा कुत्तों की समस्या पर सुनवाई: सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उठाए गंभीर सवाल
सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को आवारा कुत्तों की समस्या से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई शुरू हुई. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते कुत्तों के हमलों और रेबीज के खतरे पर चिंता जताते हुए कोर्ट के सामने अपनी दलीलें रखीं. उन्होंने कहा कि यह मामला ‘वोकल माइनॉरिटी‘ (जो आवारा कुत्तों के पक्ष में बोलते हैं) और टसाइलेंट मेजॉरिटी‘ (जो कुत्तों के काटने से पीड़ित हैं) के बीच का है. मेहता ने एक वायरल वीडियो का हवाला देते हुए बताया कि उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में एक 14 साल के बच्चे की रेबीज से मौत हो गई. ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं जहां बच्चे कुत्तों के हमलों का शिकार बन रहे हैं. उन्होंने जोर देकर कहा कि नसबंदी (बधियाकरण) से रेबीज नहीं रोका जा सकता है. इससे केवल कुत्तों की आबादी नियंत्रित होती है, न कि उनके काटने की प्रवृत्ति. मेहता ने कोर्ट से हाल के आंकड़ों पर ध्यान देने की अपील की, जिसमें 2024 में भारत में 37 लाख से अधिक कुत्तों के काटने के मामले आए हैं. 54 संदिग्ध रेबीज मौतें शामिल हैं. उन्होंने तत्काल हस्तक्षेप की मांग करते हुए कहा कि बच्चों और बुजुर्गों की सुरक्षा के लिए सख्त कदम उठाना जरूरी है.
आवारा कुत्तों पर आज सुप्रीम कोर्ट में दोबारा सुनवाई होगी
दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को दूसरी जगह स्थानांतरित करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर देशव्यापी विरोध हो रहा है. अब, शीर्ष कोर्ट अपने 11 अगस्त के फैसले पर तीन जजों की एक नई बेंच सुनेंगी. बेंच में जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एनवी अंजारिया शामिल हैं. सभी आवारा पशुओं को सड़कों से हटाकर आश्रय स्थलों में ‘शेल्टर होम‘ में रखने के आदेश जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की पीठ द्वारा पारित किए गए थे.
आधे घंटे बिहार एसआईआर पर होगी सुनावई
सुप्रीम कोर्ट में बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के चुनाव आयोग को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है. केस पर जस्टिस सूर्यकांत और जॉयमाल्या बागची सुनवाई कर रहे हैं. बुधवार को केस की सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि वह कल आधे घंटे तक याचिकाकर्ताओं की सुनवाई करेगी. आज, कोर्ट में भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) को जवाब देना है. वहीं, बुधवार को सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि गुरुवार को जब हम उनसे (ईसीआई) प्रश्न पूछेंगे तो हम देखेंगे कि क्या स्वीकार किया गया है और क्या नहीं. वहीं, बिहार और बंगाल में बड़े स्तर पर नाम काटे जाने पर बवाल उठा हुआ है.