छत्तीसगढ़

वेतनमान विवाद: हाईकोर्ट की फटकार, सरकार को दी समयसीमा

बिलासपुर

क्रमोन्नत वेतनमान की मांग को लेकर 300 शिक्षकों ने हाईकोर्ट में अलग-अलग याचिका लगाई है. जिस पर एकसाथ सुनवाई हुई, इस दौरान राज्य शासन की ओर से पैरवी कर रहे महाधिवक्ता कार्यालय के विधि अधिकारियों ने जवाब पेश करने के लिए समय मांगा. इस पर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि जब पहले से ही सुनवाई की तारीख तय थी, तो तैयारी अधूरी क्यों रही. हालांकि, अदालत ने राज्य सरकार को अंतिम मौका देते हुए 15 सितंबर तक जवाब पेश करने का निर्देश दिया है.

याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि स्कूल शिक्षा विभाग और DPI ने समान प्रकरणों में भेदभाव किया है. मामले की सुनवाई जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की सिंगल बेंच में हुई. अब इन सभी याचिकाओं पर 15 सितंबर के बाद सुनवाई होगी. साथ ही याचिकाकर्ताओं के वकीलों को भी रिप्लाई (रिज्वाइंडर) दाखिल करने की अनुमति दी गई है.

दरअसल, इससे पहले शिक्षिका सोना साहू की याचिका पर हाई कोर्ट ने राज्य शासन को क्रमोन्नत वेतनमान और एरियर्स की राशि भुगतान का आदेश दिया था. आदेश के बाद सरकार ने शिक्षिका के खाते में वेतनमान और एरियर्स जमा भी कराए थे. हाई कोर्ट का यह फैसला शिक्षकों के लिए टर्निंग पाइंट साबित हुआ. इसके बाद पूरे प्रदेश में बड़ी संख्या में शिक्षक क्रमोन्नत वेतनमान को लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाने लगे. जानकारी के अनुसार अब तक 27 हजार से अधिक शिक्षकों ने याचिकाएं दायर कर दी हैं, जिन पर क्रमवार सुनवाई शुरू होगी.

सोना साहू केस के बाद जिन शिक्षकों ने तुरंत याचिका लगाई थी, उन्हें हाई कोर्ट ने विभाग के समक्ष अभ्यावेदन देने और नियमानुसार कार्रवाई करने का निर्देश दिया था. इन शिक्षकों ने अभ्यावेदन पेश भी किया, लेकिन स्कूल शिक्षा विभाग और डीपीआइ ने उन्हें खारिज कर दिया. अब ऐसे शिक्षक भी पुनः हाई कोर्ट पहुंचे हैं.

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