पद की धौंस या कानून की अवहेलना? सहायक आयुक्त विकास विभाग अक्षय कुमार कंवर की प्राइवेट कार पर ‘नेम प्लेट’, RTO और ट्रैफिक पुलिस को खुली चुनौती!

जांजगीर-चांपा। जांजगीर-चांपा जिले के सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग, अक्षय कुमार कंवर एक बार फिर चर्चा में हैं, लेकिन इस बार अपने प्रशासनिक कार्यों के कारण नहीं, बल्कि मोटर व्हीकल अधिनियम (Motor Vehicles Act) के खुले उल्लंघन के कारण। उन पर आरोप है कि वे अपने पद के गुमान में नियमों की सरेआम धज्जियां उड़ा रहे हैं।
नंबर प्लेट की जगह ‘नाम’ का प्रदर्शन
प्राप्त जानकारी के अनुसार, सहायक आयुक्त अक्षय कुमार कंवर अपनी निजी गाड़ी का उपयोग कर रहे हैं, जिसमें उन्होंने कानूनी रूप से अनिवार्य नंबर प्लेट के ऊपर अपने नाम का नेम प्लेट लगा रखा है।
मोटर व्हीकल अधिनियम स्पष्ट रूप से कहता है कि किसी भी निजी या सरकारी वाहन की नंबर प्लेट पर पंजीकरण संख्या (Registration Number) के अलावा नाम, पद या किसी भी प्रकार का प्रदर्शन करना प्रतिबंधित है। अधिकारी द्वारा इस नियम का उल्लंघन करना गंभीर मामला माना जा रहा है।
RTO और यातायात विभाग को सीधी चुनौती
एक जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारी द्वारा ही जब कानून को ताक पर रखा जा रहा है, तो इसे जिले के परिवहन विभाग (RTO) और यातायात पुलिस के लिए खुली चुनौती माना जा रहा है।
सवाल यह उठ रहा है कि क्या सहायक आयुक्त को अपने पद का इतना अधिक गुमान है कि वे सोचते हैं कि यातायात के नियम उन पर लागू नहीं होते? यह कृत्य न केवल कानून का मखौल उड़ा रहा है, बल्कि आम जनता को भी नियमों की अनदेखी के लिए प्रेरित कर सकता है।
कार्रवाई की आंच किस पर?
यह मामला अब जिले के आरटीओ अधिकारी और यातायात विभाग के लिए एक बड़ी परीक्षा बन गया है। नियम तोड़ने वाले कोई सामान्य व्यक्ति नहीं, बल्कि जिले के एक उच्च पदस्थ अधिकारी हैं।
जिले के लोग अब यह जानने को उत्सुक हैं कि इन दोनों विभागों में से कौन अधिकारी के खिलाफ मोटर व्हीकल एक्ट के तहत चालान या वैधानिक कार्रवाई करने का साहस दिखाता है। क्या विभाग एक उच्च अधिकारी पर नियमों के उल्लंघन के लिए कार्रवाई करेगा, या यह मामला भी ‘आईएएस/आईपीएस प्रभाव’ के सामने दब जाएगा?


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