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एक पत्रकार कैसे करता है आपके लिए समाचार एकत्रित इस घटना से समझ सकते है

बहुत आसान होता है पत्रकारों को गालियां देना, भरा बुरा कहना, नफरत की निगाहों से देखना, एक पत्रकार जो आप तक झगड़े मोल कर, चुनौतियों का सामना कर, अपने दैनिक दिनचर्या से ऊपर उठ कर भूखे प्यासे खबर समाचार कलेक्सन करता है। हुकूमत पत्रकारों के विरोध में कार्य करती हैं। प्रशासन विरोध में या कहे कि आलोचना पर्दाश्त नही करती है। मीडिया संस्थान पत्रकार के मेहनत की स्टोरी को कूड़े में डाल देता है। ये इस लिए आपके सामने जिक्र कर रहा हूं कि बीते रात्रि को हमारा दुर्घटना हुआ जब समाचार एकत्रित करने जिला मुख्यालय से 70-80 किलोमीटर दूर गए हुए थे।

घटना कुछ इस तरह थी कि हमारे मित्र जो एक न्यूज चैनल में स्ट्रिंगर बतौर कार्य करते है उन्होंने फ़ोन करके शुबह बताया कि एक जगह सरकार के पैसे को लाखों कि संख्या हानि पहुँचाई गई है। हमें इस स्टोरी के लिए जाना पड़ेगा। हम बैग उठाये बैगर कुछ खाएं पिये हमारा कैमरा, बैग उठाएं और मौषम के बदलते मिजाज को देखते हुए भी बाइक से चल पड़े, करीब 2-3 घण्टे बाद उस जगह पर पहुँचे, जहां हमें खामियों पर समाचार बनानी थी। हम उस जगह पर घण्टों घूमते रहे जायजा लेते रहें। इस बीच हमारा पैर एक जगह फंसा और कैमरा लेकर धड़ाम से गिर पड़े, गिरते वक्त अपने कीमती कैमरा को टूटने से बचाने में सफल तो गए किन्तु हाथ व घुटनों में थोड़ा चोट आई। हमें आराम की जरूरत थी। हम आराम नही किये बल्कि अपने लिए समाचार का कलेक्सन करने लगे। इस बीच स्टोरी कवर करने के बाद हमें सम्बंधित जिम्मेदार अधिकारी के बाईट की आवशयकता थी।

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उनके लिए घण्टों बैठ कर इंतजार किया। आये और सफाई देते हुए बाईट दी। तब तक शाम हो चुके थे। हमें 70-80 किलोमीटर दूर अपने घर भी जाना था। और मौषम का मिजाज भी ठीक नही था। मौषम को देख जल्दी में तेज गाड़ी चलाते हुए एक 20 किलोमीटर दूर पहुँचे ही थे। एक पान की गुमटी देख रुक गए कि तभी जमकर बारिश हुई, ओले गिरने लगे हम नही भीगे उसके लिए कड़ी मशक्कत करने गए। किन्तु हल्का भीग ही गए। तभी घण्टों बाद बारिश बन्द हुई हमें वापस घर जाना था। गाड़ी में पानी घुस गया अच्छे से नही चल पा रहा था हमारा बाइक, हम उसे टैम्परेरी बनाकर करीब 8 बजे वहां से निकले सड़क पूरी तरह से खराब हमारे बाइक का लाइट भी अच्छा नही था। इस बीच सड़क में कई पेड़ गिरे हुए थे।

हमनें उनसे भी साइड से अपने घर के लिए निकलने लगे बाइक मैं चला रहा था। रात काफी हो चुकी थीं, जंगल मार्ग था, सड़क में गड्ढे थे जिनमें पानी भरा हुआ था। तभी जंगल के बीच एक ट्रक आ रही थी ट्रक एक वाहन को ओवरटेक करके आगे बढ़ना चाहता था। ट्रक की साइड गलत थी। वो हमारे साइड में था। ऊपर से बाईक कि लाइट भी अच्छी नही थी। हमने ट्रक को अचानक देखा कि तब तक ट्रक हमारे सामने था। सड़क किनारे गढ्ढे थे जिनमें पानी जमा हुआ था। हमने जल्द बाजी में अपने वाहन को गढ्ढे में डाल दिया हमारा बैलेंस बिगड़ा गाड़ी को संभालने की कोसिस की, तब तक हम गिर पड़े गाड़ी करीब 10 मीटर तक जमीन पर घिसलनने लगा। हम कुछ समझ पाते तब तक हम गाड़ी के नीचे थे हमारी बाइक हमारे ऊपर, ट्रक हमारे बगल से गुजर गया उसने हमें उठाने की जुर्रत नही कि हम दबे हुए थे हमारे घटने से खून की धार बह रही थी।

पीछे से एक महंगी कार रुकी उसने हमें उठाया, अपने कार से एक पानी की बोतल दी वो भी जल्दी में थे। हमने पानी को पिया चेहरे में पानी डाली पूरा बदन कांप रहा था। कुछ समझ ही नही आ था कि क्या करें। हमारे सहयोगी ने बाइक चालू की जो बड़ी मुश्किल बाद चालू हुआ। बाईक चालू होते ही हम अपने घर की ओर बढ़ने लगे, मेरा दोस्त काफी डरा हुआ था, अपने आप को संभाल नही पा रहा था बार बार गढ्ढे में बाईक को डाल दिया करता। जितने बार बाइक को गढ्ढे में डालता उतना ही तेज दर्द होता। आगे गए एक दुकान दिखा वहां से हमने एक मलहम लिया एक और दर्द की गोली खाई। फिर आगे निकले बाइक से धीरे धीरे वहीं स्थिति सड़क खराब गढ़े थे पूरे सड़क में ना चाहते हुए भी गाड़ी गढ्ढे में जाता रहा और असहनीय पीड़ा होते रहा।

जंगल से तो बाहर निकल चुके थे। कि तभी राश्ते में एक बस्ती के समीप पहुँचे ही थे कि तभी फिर पानी आने लगी जमकर पानी, बादलों गर्जना बिजली चमकने लगी हम एक घर मे रुके ताकि गीला ना हो जाये, वहां पर एक ही घर था इंसान नजर नही आ रहे थे। कि तभी जोर से बिजली कड़की समीप में ही बिजली गिरी होगी ऐसा एहसास हुआ हमारे दोस्त डरा हुआ था वो हनुमान चालीसा पढ़ने लगा, घबराया हुआ था पानी मे भींग कर लिफ्ट मांगने की बात कहता। मैं दर्द से कराह रहा था, अपने आप व्यस्त रखना चाहता था ताकि दर्द का एहसास ना हों। फोन में कुछ कॉमेडी शो देखने लगा। इस बीच घण्टों इंतजार के बाद पानी रुका हम फिर घर की ओर चल पड़े। करीब रात के 10 -11 बजे होंगे हमनें अपने क्षेत्र पहुँचने के बाद घर मे फ़ोन किया हमारे मित्र कार से लेने आये हम जिला अस्पताल गए ड्रेसिंग हुआ, मलहम पट्टी लगा।इंजेक्सन लगा मुझे लगवाने का मन नही था इन्जेक्सन हमारे पत्रारिता से जुड़े एक बड़े भैया ने फटकार कर इंजेक्सन लगवाया और हमारे दोस्त जो अस्पताल आये थे वो हमें घर छोड़े तब कही राहत की सांस ली। हालांकि छोट ज्यादा नही है बस दाहिने घुटने में 5-6 टांका लगा है। थोड़ा खरोच लगा है। वैसे स्वस्थ हूं। उम्मीद है तबियत भी जल्द ठीक हो जाएगी फिर ग्राउंड में उतर कर पूरे जोश के साथ अपने कार्य का निर्वहन ईमानदारी के साथ करेंगे। बहुत से दोस्तों का मैसेज, कॉल आया अच्छा लगा की इस भीड़ में भी हमारा भी ख्याल रखने वाले भी बहुत सारे है।

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