
जांजगीर-चांपा। तारीख थी 14 जनवरी 2025। जगह थी खोखरा शराब भट्टी, जहां दिनदहाड़े कैश कलेक्शन कर रहे कर्मचारियों को हथियारबंद बदमाशों ने गोली मारकर 78 लाख 50 हजार रुपये लूट लिए। आज, इस दुस्साहसिक वारदात को पूरे तीन महीने बीत चुके हैं, लेकिन जांजगीर पुलिस के हाथ अब भी खाली हैं। अपराधियों का कोई सुराग नहीं, कोई गिरफ्तारी नहीं। यह शर्मनाक विफलता पुलिस की कार्यशैली पर एक गहरा प्रश्नचिह्न लगाती है।
तत्कालीन पुलिस अधीक्षक विवेक शुक्ला ने इस मामले की जांच के लिए 14 अधिकारियों और कर्मचारियों की एक भारी-भरकम टीम गठित की थी। चार एसडीओपी, चार इंस्पेक्टर और चार सब इंस्पेक्टर समेत 14 कर्मियों की यह विशेष टीम भी लुटेरों तक पहुंचने में पूरी तरह नाकाम साबित हुई है। पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) तक कई बार घटनास्थल का दौरा कर चुके हैं, लेकिन ज़मीनी स्तर पर कोई ठोस प्रगति दिखाई नहीं दे रही है।
यह सोचने वाली बात है कि एक ऐसे जिले में, जहां पुलिस का इतना बड़ा अमला मौजूद है, एक बड़ी लूट को अंजाम देने वाले अपराधी तीन महीने तक खुलेआम घूम रहे हैं। क्या हमारी पुलिस इतनी कमजोर और अक्षम हो गई है कि वह अपराधियों को पकड़ने में भी लाचार है? यह न केवल पुलिस की विफलता है, बल्कि यह जिले के नागरिकों की सुरक्षा पर भी एक गंभीर खतरा है।
खोखरा लूटकांड ने आम जनता के बीच डर और अविश्वास का माहौल पैदा कर दिया है। लोग अब खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। पुलिस की इस सुस्ती ने अपराधियों के हौसले बुलंद कर दिए हैं। यदि जल्द ही इन लुटेरों को गिरफ्तार नहीं किया जाता है, तो जिले में और भी गंभीर अपराध होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
{केसरिया भारत न्यूज] जांजगीर पुलिस की इस घोर लापरवाही की कड़ी निंदा करता है। हम मांग करते हैं कि उच्च अधिकारी इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करें और पुलिस की इस नाकामी के लिए जिम्मेदार लोगों पर सख्त कार्रवाई करें। जनता को यह जानने का हक है कि उनके खून-पसीने की कमाई लूटने वाले कब सलाखों के पीछे होंगे। अब और इंतजार नहीं किया जा सकता। पुलिस को अपनी नींद तोड़नी होगी और अपराधियों को पकड़कर कानून का राज स्थापित करना होगा, अन्यथा जनता का विश्वास पूरी तरह से उठ जाएगा। नए एसपी के आने से जिले वालों को उम्मीद है कि पॉलिशिंग व्यवस्था एवं पुलिस की कार्यशैली में कुछ ना कुछ बदलाव आएगा