चावल माफिया फिर हुए सक्रिय: जिले में बढ़ी काला बाज़ारी की घटनाएं

जिले में चावल माफिया एक बार फिर से सक्रिय हो गए हैं, जिससे सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों को काफी परेशानी हो रही है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के तहत गरीब और जरूरतमंद लोगों को वितरित किए जाने वाले चावल का बड़ा हिस्सा बाजार में ऊंचे दामों पर बेचा जा रहा है। प्रशासन की ओर से निगरानी में ढिलाई और भ्रष्टाचार के चलते यह समस्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है।

कैसे हो रही है काला बाज़ारी?
स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, सरकारी गोदामों से चावल निकालकर उसे बाजार में बेचने का काम बड़ी साजिश के तहत किया जा रहा है। कुछ डीलरों और माफिया समूहों की मिलीभगत से पीडीएस में चावल की आपूर्ति बाधित हो रही है। गरीब जनता, जो इन चावलों पर निर्भर है, उन्हें वितरण केंद्रों पर “स्टॉक खत्म” का बहाना सुनने को मिलता है।
प्रभावित हो रही हैं सरकारी योजनाएं
केंद्र और राज्य सरकार द्वारा चलाए जा रहे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना (NFSA) और अन्नपूर्णा योजना के तहत लाखों गरीब परिवारों को सस्ते दर पर अनाज मिलना चाहिए, लेकिन माफियाओं की इस हरकत के कारण वे अपने हिस्से का चावल नहीं पा रहे हैं।
प्रशासनिक तंत्र की कमजोरी
मामले में जानकारों ने कहा कि प्रशासनिक तंत्र में पारदर्शिता की कमी और निगरानी व्यवस्था का अभाव माफियाओं को बढ़ावा दे रहा है। हालांकि, कुछ दिनों पहले अधिकारियों ने एक गोदाम पर छापा मारकर चावल जब्त किया था, लेकिन इसके बाद भी माफियाओं की गतिविधियां जारी हैं।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
जिला खाद्य आधिकारी कौशल साहू ने इस मामले पर संज्ञान लेते हुए सख्त से सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा, “हमारे अधिकारी नियमित रूप से छापेमारी कर रहे हैं और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। जनता से भी अपील है कि अगर किसी प्रकार की अनियमितता दिखे, तो तुरंत प्रशासन को सूचित करें।”
जनता का आक्रोश
इस घटना से स्थानीय जनता में आक्रोश है। कई लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर कब तक गरीबों के हिस्से का अनाज काला बाज़ार में बेचा जाता रहेगा? ग्रामीण क्षेत्रों में लोग अपने राशन कार्ड पर मिलने वाले चावल के लिए घंटों लाइन में खड़े रहते हैं, लेकिन उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ता है।
जरूरत है सख्त कदम उठाने की
चावल माफियाओं पर लगाम लगाने के लिए प्रशासन को और सख्त कदम उठाने होंगे। डिजिटल निगरानी, गोदामों का नियमित निरीक्षण और दोषियों पर कड़ी सजा ही इस समस्या का स्थायी समाधान हो सकता है।